दिल्ली के एक गैर सरकारी संगठन ने बुधवार को दावा किया कि उसने अयोध्या में राम मंदिर (Ram Temple) के लिए 115 देशों से पानी मंगवाया है. गैर सरकारी संगठन ‘दिल्ली स्टडी सर्किल’ के अनुसार ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, कनाडा, चीन, कंबोडिया, क्यूबा, डीपीआर कांगो, फिजी, फ्रांस, जर्मनी, इटली, इंडोनेशिया, आयरलैंड, इजराइल, जापान, केन्या, लाइबेरिया, मलेशिया, मॉरिशस, म्यामां, मंगोलिया, मोरक्को, मालदीव और न्यूज़ीलैंड से जल मंगवाया गया है.
इस गैर सरकारी संगठन के प्रमुख और दिल्ली से भाजपा के पूर्व विधायक विजय जॉली ने कहा कि भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, विश्व हिंदू परिषद के दिवंगत अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें ऐसा करने की प्रेरणा मिली.
मोदी ने पिछले साल पांच अगस्त को राम मंदिर की आधारशिला रखी थी. उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘ ऐसे समय में जब लोग कोविड-19 महामारी की वजह से एक देश से दूसरे देश की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं तो आस्था और विश्वास के अपने ऐतिहासिक मिशन में हम सफल हुए. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम सिर्फ़ अयोध्या के लोगों के लिए पूजनीय नहीं है बल्कि आधुनिक समय में दुनिया भर के लाखों लोग उनकी पूजा करते हैं.’ इस संगठन की योजना अगले महीने इस जल को अयोध्या भेजने की है.
इससे पहले बड़ा फैसला लेते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने बताया कि श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन 2023 से पहले करा दिए जाएंगे.
चंपत राय ने बताया कि आगे क्या-क्या करना है, कौन सा काम किस समय तक पूरा करना है. उसके लिए जरूरी चीजें कहां से आएगी. ऐसी छोटी-छोटी कई बातों पर चर्चा हुई. बैठक में पहला विचार इस बात पर हुआ है कि श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन 2023 समाप्त होने के पहले करा दें, जहां गर्भगृह बनने वाला है वहां भगवान की स्थापना और श्रद्धालुओं का दर्शन करना शुरू हो जाएगा.
2025 तक विकसित होगा पूरा 70 एकड़ परिसर
महासचिव चंपत राय ने कहा कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि मंदिर परिसर के बाहर का जो बाकि अयोध्या है उसे मंदिर निर्माण की किसी योजना से दिक्कत का सामना न करना पड़े. सारा परिसर सभी प्रकार से ऐसा बनाया जाएगा कि वह इको फ्रेंडली होगा. सीवर और वॉटर ट्रीटमेंट का पूरा ध्यान रखा जाएगा. पानी से बचाव के लिए 3 दिशाओं में रिटेनिंग वॉल भी लगाई जाएगी. राय ने कहा कि इस बात पर भी जोर दिया गया है कि परिसर में पेड़ों की संख्या ज्यादा से ज्यादा हो ताकि अंदर का तापमान प्राकृतिक रूप से ठीक-ठाक बना रहे. महासचिव चंपत राय ने कहा कि मंदिर का निर्माण कार्य हम 2023 तक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए शुरू कर देंगे लेकिन 2025 खत्म होते-होते संपूर्ण 70 एकड़ परिसर पूरी तरह से विकसित हो जाएगा.