दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi high court) ने यौन शोषण(Sexual Harassment) के फर्जी मामले दर्ज करवाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट की ये नाराजगी एक केस के चलते जाहिर हुई. सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने कहा कि अब वो समय आ ही गया है कि जब उन लोगों को खिलाफ कार्रवाई की जाए,जो लोग अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए ही झूठे मामले दर्ज करवाते हैं. कोर्ट के अनुसार यौन शोषण कोई छोटा आरोप नहीं होता है, ऐसे आरोप से किसी अच्छे व्यक्ति की प्रतिष्ठा भंग होती है.
शिकायतकर्ता पर लगेगा 30 हजार रुपये का जुर्माना
दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते को देख कर इस मैटर को रद्द कर दिया, लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं हुई. कोर्ट ने शिकायत करने वाले पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया. अपने इस फैसले में जस्टिस सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि यह एक बड़ा उदाहरण है. आईपीसी की धारा 354 और इससे जुड़ी अन्य धाराओं का दुरुपयोग किया जाता है. मामले के बारे में कोर्ट ने कहा कि पार्किंग विवाद में महिला ने दूसरे पक्ष के खिलाफ 12 मई 2017 को धारा 509,506, 323, 354ए के तहत मामला दर्ज करवा दिया था. अब दोनों पक्षों का कहना है कि उनके बीच समझौता हो गया है. इसके साथ ही उसे अपने गलती का अहसास है.
कोर्ट ने कहा कि ये अब चलन बन गया है. कि किसी से आपसी खुन्नस निकालने के लिए या पक्ष को डराने के लिए उसके खिलाफ यौन प्रताड़ना का मामला दर्ज करवा दिया जाए. इसके आगे कोर्ट ने कहा कि ऐसे में संबंधित व्यक्ति की प्रतिष्ठा खराब हो जाती है, इसकी पूर्ति नहीं हो सकती. पुलिस के बारे में कोर्ट ने कहा पुलिस फोर्स की काफी कमी होने के कारण पुलिस ऐसे मामलों की जांच पड़ताल करने में समय व्यर्थ नहीं करती और केस को कोर्ट में पेश कर दिया जाता है. कोर्ट के अनुसार इस मामले के चलते पुलिस का समय भी खराब हुआ. शिकायतकर्ता को चेतावनी देते हुए कोर्ट ने कहा कि आगे से ऐसा कोई केस ना दर्ज करवाएं. याचिकाकर्ता पर कोर्ट ने 30 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए इस राशि को दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सोशल सिक्योररिटी वेलफेयर फंड में जमा करने का आदेश दिया है.