31 साल पुरानी इस अदावत में रविवार को हुई गोलीबारी में मुखिया के बेटे की सिर में गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई थी. वहीं खुद परिवार का मुखिया धर्मपाल जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है. पूरे मामले में अभी तक बुलंदशहर पुलिस के हाथ खाली हैं. लेकिन बुलंदशहर एसएसपी का कहना है कि आरोपियों की शिनाख्त कर ली गई है और जल्द ही गिरफ्तारी भी की जाएगी. रविवार को बुलंदशहर के थाना ककोड़ क्षेत्र के गांव धनोरा में सुबह खेत से लौटते समय धर्मपाल नाम के व्यक्ति पर आधा दर्जन हथियारबंद बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए हमला कर दिया था. बताया जा रहा है कि गांव धनोरा के रहने वाले धर्मपाल सुबह अपने परिवार के साथ खेत पर अपनी निजी गाड़ी से जानवरों के लिए चारा लेने गए थे.
धर्मपाल की अपने ही गांव के रहने वाले राजेंद्र सिंह परिवार के साथ पिछले काफी समय से अदावत चल रही है. जिसके चलते रविवार को बाइक और गाड़ी सवार आधुनिक हथियारों से लैस बदमाशों ने धर्मपाल के परिवार पर हमला कर दिया. जिस समय धर्मपाल के परिवार पर हथियारबंद बदमाशों ने हमला किया था उस समय धर्मपाल के साथ बुलंदशहर पुलिस के द्वारा दिया गया गनर भी मौजूद था. लेकिन अचानक ताबड़तोड़ हुई फायरिंग में धर्मपाल और परिजनों को संभलने का मौका नहीं मिला और बदमाशों के द्वारा की गई ताबड़तोड़ फायरिंग में गनर समेत धर्मपाल के परिजन गोली लगने से घायल हो गए.
बदमाशों द्वारा चलाई गई गोली गाड़ी चला रहे धर्मपाल के बेटे संदीप के सिर में जा लगी जिससे कि संदीप की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं गनर भी तीन गोली लगने से घायल हो गया. हालांकि, इस घटना के दौरान काउंटर फायरिंग में धर्मपाल और गनर के द्वारा बदमाशों पर भी 4 राउंड से ज्यादा फायरिंग की गई, लेकिन बदमाश भागने में सफल रहे. धर्मपाल नोएडा के कैलाश अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है. यह वारदात बीते रविवार की है लेकिन इसे समझने के लिए आपको अब से 31 साल पहले चलना होगा. जब इस खूनी रंजिश की अदावत लिखी गई थी. दरअसल, 1990 में होली का दिन था और धनोरा के ग्रामीण होली के रंग में सराबोर थे. लेकिन किसी को क्या पता था कि आज गांव में रंगों की होली नहीं बल्कि खून की होली खेली जानी है. होली खेलने के दौरान ही दो पक्ष राजेंद्र सिंह और कालीचरण के बीच किसी बात को लेकर आपसी विवाद हो गया. आपसी विवाद होने पर गांव में दोनों पक्षों को बैठाकर बड़े-बुजुर्ग समझाने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन अचानक बैठक के दौरान ही दोनों पक्ष एकदूसरे पर आग बबूला हो गए. जिसके साथ ही दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर हमला कर दिया.
आमने-सामने के हमले में जहां कालीचरण पक्ष के तीन लोग गोली लगने से मौत की नींद सो गए वहीं राजेंद्र पक्ष के भी एक लोग की गोली लगने से मौत हो गई. ग्रामीणों को लगा कि इतनी बड़ी वारदात के बाद शायद दोनों पक्ष खामोश बैठ जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस पूरी वारदात में कालीचरण पक्ष के जिन लोगों पर हत्या करने का आरोप लगा था वह लोग सुराग न मिलने की वजह से जमानत पर छूट गए और दूसरे पक्ष राजेंद्र सिंह के पांच लोग आज भी 1990 हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास काट रहे हैं. इस रंजिश को आगे बढ़ाते हुए 1995 में राजेंद्र सिंह पक्ष ने कालीचरण पक्ष के अगम की हत्या कर दी थी, इस हत्या का बदला लेने के लिए 1998 में कालीचरण पक्ष ने राजेंद्र सिंह पक्ष के इंद्रपाल को मौत के घाट उतार दिया.
रंजिश थमने का नाम नहीं ले रही थी और यह वारदात आगे बढ़ी और 3 जनवरी 2005 को राजेंद्र सिंह के भाई जयप्रकाश की कालीचरण पक्ष के लोगों ने हत्या कर दी, मात्र 14 दिन बाद राजेंद्र सिंह ने अपने भाई की हत्या का बदला लेते हुए 17 जनवरी 2005 को कालीचरण की पत्नी श्रृंगारी देवी और उनके यहां काम करने वाले नौकर को मौत के घाट उतार दिया गया था. कालीचरण पक्ष के लोगों ने कालीचरण की पत्नी की हत्या का बदला 2009 में राजेंद्र सिंह की पत्नी की हत्या करके पूरा किया. जिस समय राजेंद्र सिंह की पत्नी की हत्या हुई थी उस समय उसका बेटा अमित धनोरा नाबालिग था.
नाबालिग बेटे के दिल पर मां की हत्या की ऐसी छाप लगी कि अमित ने सौगंध ली कि वह कालीचरण के वंश को मिटा देगा. अमित ने इस रंजिश की अदावत को आगे बढ़ाते हुए 2019 में कालीचरण के बड़े बेटे जगपाल की पलवल में हत्या करा दी. कालीचरण के बड़े बेटे जगपाल की हत्या में अमित धनोरा का नाम काफी सुर्खियों में आया था, लेकिन अमित धनोरा पुलिस की पकड़ से दूर था. 2020 में दोबारा अमित ने कालीचरण की हत्या कर इलाके में दहशत पैदा कर दी थी. जिसके बाद पुलिस के लिए अमित को ढूंढना एक बड़ी चुनौती बन गई थी. लेकिन बुलंदशहर पुलिस ने अमित को उसके तीन साथियों के साथ कालीचरण की हत्या के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इस पूरी 31 साल की खूनी रंजिश में अब तक दोनों पक्षों से 13 लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है.
हालांकि एसएसपी ने बताया है कि पुलिस बहुत जल्द ही रविवार को हुए हत्याकांड में शामिल हथियारबंद बदमाशों की गिरफ्तारी कर लेगी. पुलिस की स्वाट टीम के साथ-साथ चार टीम पूरे हत्याकांड के आरोपियों की गिरफ्तारी में लगी हुई है. इस घटना के बारे में बुलंदशहर के एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया धनोरा गांव एक ही जाति-समुदाय का है. उस गांव में दो पक्ष थे. एक कालीचरण का पक्ष है जिसके लोग कल की घटना का पीड़ित हैं और दूसरा है राजेंद्र सिंह पक्ष, इस पक्ष के पांच लोग आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं. इस मामले में उल्लेखनीय बात यह है कि 1990 में होली के दिन सबसे पहले गोली चली थी. बातचीत के दौरान उन्होंने आगे बताया कि कालीचरण की हत्या के बाद परिवार को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई गई थी. और अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद एक गनर स्थायी रूप से परिवार की सुरक्षा के लिए दिया गया था. पूरा परिवार का ही गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड था. हत्या और हत्या के प्रयास के कई मुकदमे थे. इस तरह के आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को शस्त्र लाइसेंस देने की परंपरा नहीं रही है.
लेकिन इनकी वर्तमान स्थिति और असमान्य परिस्थितियों को आकलन करने के बाद मेरे और जिलाधिकारी बुलंदशहर के स्तर से व्यापक समीक्षा के बाद उन्हें रायफल का लाइसेंस भी दिया गया था. इस वजह से ये कहना की सुरक्षा में चूक हुई वो कहना गलत होगा. इनके पास शस्त्र लाइसेंस था जिससे उन्होंने दो राउंड फायर भी किए. सुरक्षा में हमारा गनर मौजूद ही था. जिसकी बहादुरी की वजह से ही बदमाश मौके से फरार हो गए. एसएसपी ने आगे बताया कि इस मामले में अब तक एक दर्जन से अधिक हत्याएं दोनों पक्षों में हो चुकी है. दूसरे पक्ष के 6 लोग जेल में अपनी-अपनी सजा काट रहे हैं. कल की घटना पर हमारी 4 टीमें काम कर रही हैं जल्द ही हम अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लेंगे. कल की घटना में पीड़ित पक्ष की तरफ से चार लोगों को नामजद किया गया है. नामजद अपराधियों में से दो अभियुक्त पूर्व से ही जेल में हैं, अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.