तू डाल-डाल… मैं पात-पात …लोजपा के टिकट पर लड़ रहे बागी नेताओं और भाजपा के बीच प्रचार में प्रधानमंत्री के नाम व तस्वीर के इस्तेमाल को लेकर छिड़ी जंग कुछ इसी तर्ज पर चल रही है। पीएम के नाम का इस्तेमाल करने पर अड़े लोजपा प्रत्याशियों को भाजपा ने जब हड़काया और केस-मुकदमे की धमकी दी तो उन्होंने इसका नायाब तोड़ निकाल लिया। कहा कि वे चुनाव में न तो नरेन्द्र मोदी का नाम लेंगे, न ही उनकी तस्वीर का प्रयोग करेंगे लेकिन प्रधानमंत्री पदनाम पर वोट मांगने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता और वे सभी ऐसा ही करेंगे। इसमें कोई कानूनी अड़चन भी नहीं है। प्रधानमंत्री शब्द के उपयोग पर रोक कैसे लगायी जा सकती है! बागियों ने कहा कि हम तो शुरु से कह रहे हैं कि हम प्रधानमंत्री के सपनों का बिहार बनाना चाहते हैं। इसमें गलत क्या है?
गौरतलब है कि अलग चुनाव लड़ने के फैसले के वक्त ही लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा था कि प्रधानमंत्री ही उनके आदर्श हैं और उनकी पार्टी भाजपा की उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेगी। इसके बाद राजेन्द्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया व उषा विद्यार्थी जैसे बेटिकट भाजपा नेताओं ने लोजपा का दामन थामा और मैदान में कूद पड़े। साथ ही ऐलान कर दिया कि वह प्रधानमंत्री के नाम पर ही वोट मांगेंगे, प्रचार अभियान को केंद्रित करेंगे। नया घटनाक्रम यह है कि भाजपा के पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह को भी टिकट नहीं मिला तो उन्होंने भी बनियापुर से लोजपा के टिकट पर लड़ने की घोषणा कर दिया। दूसरे बागियों से उलट तारकेश्वर अब भी इस बात पर अड़े हैं कि वह अपने प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर और नाम दोनों का इस्तेमाल करेंगे।
इधर भाजपा का दावा, बिहार में लोजपा एनडीए में नहीं
बागी नेताओं के रुख पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने फिर सफाई दी। कहा कि बिहार में लोजपा एनडीए का हिस्सा नहीं है। कहीं कोई भ्रम नहीं है। लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे या अन्य गैर एनडीए दलों के प्रत्याशी अपने अभियान में प्रधानमंत्री की तस्वीर क्या, नाम तक का उपयोग नहीं कर सकते हैं। यदि कोई ऐसा करता है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बिहार में भाजपा-जदयू का गठबंधन पिछले 22 वर्षों से अटूट है। बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन के साथी हम और वीआईपी हैं। भाजपा छोड़कर दूसरे दलों या निर्दलीय लड़ने वालों का कोई असर नहीं होगा। ऐसे नेताओं को पार्टी से निकालने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा था।