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‘मैं डिप्टी सीएम होता तो इस्तीफा दे देता’, आदित्य ठाकरे का देवेंद्र फडणवीस पर तीखा हमला

शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार पर टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट के हाथ से जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र उनके (शिंदे) विश्वासघात और अपवित्र महत्वाकांक्षा के कारण पिछड़ने लगा है। उन्होंने कहा, ‘जब हम डबल इंजन सरकार के बारे में बात करते हैं तो महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के समय केंद्र के साथ हमारे डबल इंजन ने काफी अच्छा काम किया।’

आदित्य ठाकरे ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर वह (आदित्य ठाकरे) वर्तमान सरकार में डिप्टी सीएम के पद पर होते तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया होता, क्योंकि फडणवीस की छवि दांव पर लग गई है। ठाकरे ने उद्योग मंत्री उदय सामंत के इस्तीफे की मांग की और कहा कि मैं नए सिरे से चुनाव का विकल्प चुनता।

शिवसेना नेता ने आगे कहा कि सुभाष देसाई अपने कार्यकाल के दौरान 6.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश महाराष्ट्र में लाए। उन्होंने आरोप लगाया कि इस असंवैधानिक सरकार के सत्ता में आने के बाद एक इंजन फेल हो गया और जो निवेश महाराष्ट्र में आना था, वह दूसरे राज्यों में जा रहा है। ठाकरे ने यह भी दावा किया कि तत्कालीन एमवीए सरकार ने मौजूदा सरकार की तुलना में केंद्र के साथ मिलकर बेहतर तरीके से काम किया।

महाराष्ट्र में आएंगे कुछ बड़े निवेशः सीएम शिंदे
वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य से कुछ निवेश परियोजनाओं के गुजरात चले जाने पर विपक्ष की तरफ से की जा रही आलोचना पर कहा कि महाराष्ट्र को आने वाले समय में कुछ बड़े निवेश मिलने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘इस समय महाराष्ट्र में उद्योगों की स्थिति को लेकर एक चर्चा चल रही है और इस मुद्दे पर उद्योग मंत्री लगातार अपनी बात रख रहे हैं। मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता लेकिन सरकार युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के मामले में पीछे नहीं रहेगी।’

हाल ही में टाटा समूह और एयरबस के गठजोड़ ने अपनी विमान विनिर्माण परियोजना को महाराष्ट्र से हटाकर गुजरात ले जाने की घोषणा की है। इसके पहले वेदांता और फॉक्सकॉन ने भी संयुक्त उद्यम में लगने वाली अपनी सेमीकंडक्टर इकाई को अचानक महाराष्ट्र से गुजरात ले जाने का ऐलान कर दिया था। इन घटनाओं को लेकर विपक्षी दल लगातार महाराष्ट्र सरकार की आलोचना कर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि राज्य सरकार महाराष्ट्र के हितों की रक्षा नहीं कर पा रही है।