दिल्ली उच्च न्यायालय ने शराब घोटाले में कथित धनशोधन के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की एकल पीठ ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल को 26 जून को गिरफ्तार करने के मामले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी करके केन्द्रीय जांच एजेंसी को अपना पक्ष रखने को कहा।
उच्च न्यायालय ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है। केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी के अलावा विशेष अदालत के केंद्रीय जांच एजेंसी को उन्हें हिरासत में देने के आदेश के साथ ही गिरफ्तारी को उचित बताने की टिप्पणी पर अपनी याचिका में सवाल किया है। सीबीआई ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुकदमे में मार्च से न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल बंद श्री केजरीवाल को 26 जून को गिरफ्तार किया था। विशेष अदालत ने उसी दिन सीबीआई की गुहार पर उन्हें इस केंद्रीय जांच एजेंसी की तीन दिनों की हिरासत में भेज दिया था।
हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद विशेष अदालत ने शनिवार 29 जून को उन्हें 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। राऊज एवेन्यू स्थित अवकाशकालीन विशेष न्यायाधीश सुनैना शर्मा ने सीबीआई की ओर से केजरीवाल की हिरासत बढ़ाने की मांग नहीं करने और 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आग्रह के बाद यह आदेश पारित किया था। सीबीआई की ओर से दलील दी गई थी कि केजरीवाल एक प्रभावशाली राजनेता हैं। वह हिरासत में नहीं रहने पर सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
राऊज एवेन्यू स्थित अवकाशकालीन विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत ने 26 जून को केजरीवाल को सीबीआई की तीन दोनों की हिरासत भेजने का आदेश दिया था। हिरासत अवधि 29 जून को समाप्त होने पर सीबीआई ने उन्हें अदालत में पेश किया था। सीबीआई ने धन शोधन के मामले में ईडी की 21 मार्च को गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में बंद थे। इसी दौरान सीबीआई ने अदालत की अनुमति पर केजरीवाल से 25 जून को जेल में पूछाताछ की थी। पूछताछ के बाद 26 जून को उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार करके अदालत में पेश किया था। इससे पहले केजरीवाल ने ईडी की ओर से दर्ज मामले में विशेष अदालत की ओर से 20 जून को दी गई जमानत आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय की 21 जून के अंतरिम रोक और 25 जून को निलंबित करने का आदेश पारित किया था।