सरकारी नौकरी छोड़ अपने आइडिया और ललक के साथ आगे बढ़े सेईकोठी निवासी लोभी राम ने दुर्लभ औषधीय पौधों(rare medicinal plants) के संरक्षण और खेती करना शुरु किया। बता दें कि खेती करने के लिए लोभी राम ने कृषि विभाग(Agriculture Department) में अनुबंध पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की 1500 रुपये की नौकरी छोड़ दी।
वहीं इस समय लोभी राम महाराष्ट्र, किन्नौर, पुणे, दिल्ली, कोलकाता समेत कई राज्यों में दवाई सहित अन्य कंपनियों को औषधीय पौधों को निर्यात कर रहे हैं। जिससे उन्हें अच्छा लाभ भी हो रहा है।
वहीं लोभी राम ने अपनी इस औषधीय पौधों की खेती के जरिए 150 लोगों को रोजगार भी दिया है। उन्होंने बताया कि वह इस समय लाहौल, कुल्लू, पांगी, जम्मू-भद्रवाह और चुराह में जड़ी-बूटियां उगाने का काम कर रहे हैं।
लोभी राम ने वर्ष 1999 में कृषि विभाग(Agriculture Department) में अपनी नौकरी छोड़ दी और इसके बाद उन्होंने औषधीय खेती(medicinal farming) करने का निर्णय लिया। सबसे पहले उन्होंने अपने खेतों में ही औषधीय पौधे उगाना शुरु किया। फिर धीरे-धीरे गांव में आसपास की जमीन लीज पर लेकर औषधीय पौधे उगाना शुरू किया।
इतना ही नहीं, प्रदेश सरकार के साथ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष मनाली में आठ करोड़ का एमओयू भी साइन कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह द्वारा उनके इस काम को भी सराहा गया है।
बेटे का मिला साथ
वहीं लोभी राम के इस कार्य में उन्हें उनके बेटे संजय कुमार जरयाल का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। उनके इस काम से और दुर्लभ जड़ी-बूटियों(herbs) की खेती से आने वाली पीढि़यों को भी आयुर्वेद(Ayurveda) का ज्ञान होगा और लाभ मिलेगा।
लोभी राम ने बताया कि वह वर्तमान समय में मुशकबाला, सुंगधबाला, जटामारती, नागछतरी, शिव जटा, शिव जूडी, अतीश-पतीश, बनक्कड़ी, कुटकी इत्यादि औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं।