आजकल खौफ में है चीन। वजह बना है ऑस्ट्रेलिया। सीमा पर तनाव के बीच ड्रैगन की बढ़ती बैचेनी ने भारत के कूटनीतिज्ञों को राहत की सांस मुहैया कराई है। वो कैसे? तो वो ऐसे कि हर वर्ष मालाबार नौसैनिक युद्धाभ्यास से दूरी बनाने वाला ऑस्ट्रेलिया इस वर्ष युद्धाभ्यास में शिरकत करने जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के इस शिरकत को लेकर भारतीय रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इससे दोनों देशों के बीच रक्षात्मक रिश्ते प्रगाढ़ होंगे। कुछ हमें मिलेगा सिखने को तो कुछ उन्हें मिलेगा सीखने को। लेकिन सीखने-सिखाने की इस कश्मकश के बीच न जाने क्यों ड्रैगन की नींद उड़ी पड़ी है। वो अब खौफ में आ चुका है।
इस मसले को गहराई से समझने के लिए आपको एक दशक पीछे यानी की वर्ष 2007 में चलना होगा। जब भारत ने अपने नौसैनिक की मारक क्षमता में इजाफा करने हेतु मालाबार युद्धाभ्यास शुरू किया था। उन दिनों भारत व चीन के रिश्ते वैसे नहीं थे, जैसे कि आज हैं, लिहाजा भारत ने इसे युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने की योजना बनाई, लेकिन चीन के एतराज को मद्देनजर रखते हुए ऑस्ट्रेलिया को इस फेहरिस्त से भारत ने बाहर रखना ही मुनासिब समझा, मगर अब स्थिति बदल चुकी है। परिस्थितियों में परिवर्तन आ चुका है। हालात अब पहले जैसे नहीं रहे। कल और आज के बीच फर्क का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि भारत व चीन के रिश्ते तनावपूर्ण स्थिति से गुजर हो रहे हैं। इस तनाव के बीच अब भारत ने मालाबार युद्धभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने का फैसला किया है, मगर कल तक एतराज जताने वाला ड्रैगन अब ऑस्ट्रेलिया के शिरकत से क्यों खौफ खा रहा है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।
इस महीने शुरू हुई थी चर्चा
यहां पर हम आपको बताते चले कि नौसैनिक अभ्यास का हिस्सा बनकर भारत ने क्वाड (Quadrilateral Security Dialogue) देशों की रणनीतिक और सामरिक साझेदारी के नए दौर का साफ संकेत दिया है। बता दें कि ऐसा पहली बार होने जा रहा है, जब क्वाड के चारों देशों भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं एक साथ युद्धाभ्यास करेंगी।