मालवा की धरती से अब खजाना भी निकलने लगा है। शाजापुर के ग्राम पचोला के मजदूरों को नींव खोदते वक्त 163 से अधिक सोने-चांदी के सिक्के एक साल पहले मिले थे। तीनों ने इसका बंटवारा कर अपने-अपने घरों में छिपा दिए, जिससे किसी को इस बात की जानकारी न हो। मगर बुधवार को जब वे इसे बाजार में बेचने के लिए निकले तो पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। मजदूरों के पास इतने सिक्के देख सभी हैरान रह गए।
बता दें ये कोई यह साधारण सिक्के नहीं, बल्कि औरंगजेब के जमाने केहैं। अश्विनी शोध संस्था महिदपुर के मुद्रा विशेषज्ञ डॉ.आर.सी. ठाकुर ने बताया कि मालवा की धरती से यह सिक्के मिलना अपने आप में बहुत ही दुर्लभ है। बेरछा थाना प्रभारी रवि भंडारी ने बताया कि उन्हें सूचना मिली कि तीन व्यक्तियों के पास जमीन खुदाई के दौरान सिक्के मिले हैं, जो उन्हें बेचने के लिए बेरछा नाके के पास घूम रहे हैं। जब पुलिस ने घेराबंदी की तो तीनों व्यक्ति भागने लगे। जब पुलिस ने इनसे पूछताछ की ताे खजाना सबके सामने आया।
पुलिस ने जितेंद्र के पास से 60 चांदी के सिक्के व 7 सोने तो वहीं किशन के पास से 60 चांदी और 6 सोने के सिक्के बरामद किए, और संतोष के पास से 30 चांदी के सिक्के जब्त किये। ग्रामीण युवकों से शपथ पत्र लिखने के बाद पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया, लेकिन उन्होंने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया।
नींव खुदाई के समय मिला खजाना
संतोष, किशन और जितेंद्र को एक साल पहले मिलना बताया जा रहा है। इन तीनों मजदूरों के गांव पचोला पहुंचकर पता चला कि कोई भी ग्रामीण इस पूरे मामले में कुछ भी बोलने को तैयार ही नहीं था। मगर कुछ लोगों ने बताया कि लगभग डेढ़ से दो साल पहले संतोष ने अचानक पक्का मकान बनवा लिया तो जितेंद्र और किशन के मकान बनवाने काम भी शुरू कर दिया था। एक ग्रामीण ने इन तीनों मजदूरों को उक्त खजाना बेरछा के आसपास से मिलने की संभावना जताई पर तीनों ने कैमरे के सामने कुछ भी बताने के लिए मना कर दिया।
एक साल तक छुपाए रखा
इधर, जितेंद्र, किशन और संतोष से जब पूछा गया तो उन्होंने भी पुलिस द्वारा बताई पूरी कहानी ही बताई। जिसे उन्होंने तीनों में बांट लिया था। पुलिस के मुताबिक संतोष के पास से केवल 30 सिक्के मिले, वहीं संतोष के मुताबिक उसके खुद के मकान की नींव खुदाई में यह सिक्के एक मिट्टी के बर्तन में मिले थे। पुलिस पकड़ न ले इसके डर से तीनों ने अपने अपने घरों में ही गड्ढा कर सिक्के गाड़ दिए थे।
आज इस्तगासा कोर्ट पेश करेंगे
बेरछा थाना प्रभारी भंडारी के मुताबिक मामले में 403 आईपीसी, धारा 20 भारतीय निखात निधि अधिनियम 1878 के (दफीना एक्ट) के तहत गुरुवार को इस्तगासा अदालत में पेश की जाएगी। इसके बाद कलेक्टर द्वारा इसे शासन के खजाने में जमा करा दिया जाएगा।
363 साल पहले औरंगाबाद टकसाल में ढले थे ये सिक्के
शाजापुर में मिले सोने के सिक्के औरंगजेब के वक्त के बताये जा रहे हैं। डॉ. ठाकुर के मुताबिक यह सिक्के औरंगाबाद टकसाल में ढले हैं। मालवांचल में इस टकसाल के सिक्के मिलने का यह पहला केस है। यह सिक्के 1658 से 1707 (हिजरी सन् 1068 से 1158) के बताये जा रहे हैं। इस पर 12 अंक लिखा है, जो महीने का प्रतीक बताया जा रहा है। इस प्रकार के सिक्के उज्जैन जिले के रूनीजा में सालों पहले स्व. डॉ. श्रीधर वाकणकर को भी मिले थे। एक सिक्के की कीमत करीब 50 हजार रुपए तक है।
सिक्कों की कीमत 8 लाख से अधिक
सोने-चांदी का कारोबार करने वाले व्यापारियों से जानकारी के अनुसार आज के सोने से पुराना सोना अधिक शुद्ध होता है। सोने के सिक्कों का वजन 142.3 ग्राम तक है, वहीं चांदी के 150 कुल सिक्कों का वजन एक किलो 710 ग्राम है इसलिए चांदी के सिक्कों के दाम 1 लाख 12 हजार रुपए के करीब तो सोने का एक सिक्का 50 हजार यानी कुल 13 सिक्कों की कीमत लगभग 6 लाख 50 हजार रुपए है।