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मातमी सन्नाटे के बीच भूतहा शहर बन चुका है अफगानिस्तान का यह प्रांत, किस पर शासन करेगा तालिबान!

तालिबान को जिस पंजशीर पर कब्जा करने में पसीने छूट गए थे। अब वहां मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसा लग रहा है कि जैसे पंजशीर भुतहा शहर बन गया है। पंजशीर के अधिकांश लोग दूसरे शहरों की ओर पलायन कर गए हैं। प्रांत के ज्यादातर गांवों में अब बूढ़े लोग और जानवर ही बचे हैं। तालिबान नहीं चाहते कि लोग यहां से कहीं और जाएं लेकिन डर के चलते वो अपना घर छोड़ गए हैं। पंजशीर अब खाली हो चुका है।

 

भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं था

स्थानीय लोगों का कहना है कि अब वो स्वतंत्र महसूस नहीं कर रहे हैं। क्योंकि तालिबानी लड़ाके यहां घुस आए हैं। एक बंद दुकान के बाहर बैठे अब्दुल गफूर ने बताया कि पहले खेंज जिले के उनके गांव में 100 परिवार रहते थे लेकिन अब बमुश्किल तीन परिवार ही बचे हैं। लोग घर छोड़ कर जा चुके हैं। बाकी लोग भी सब इलाका छोड़कर जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि घाटी में मानवीय सहायता बंद कर दी गई थी। मानवीय सहायता बंद होने के बाद निवासियों के पास भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

काबुल चले गए अधिकांश लोग

मालास्पा में घाटी के ऊपर टम्बलिंग नदी के किनारे जहां स्थानीय लोग गपशप करते नजर आया करते थे। अब वहां केवल जानवर ही दिखाई दे रहे हैं। लोगों का आना-जाना एकदम खत्म हो चुका है। 67 वर्षीय खोल मोहम्मद ने बताया कि तालिबान के डर से पूरा इलाका खाली हो गया हैं। ज्यादातर लोग काबुल चले गए हैं। पंजशीर के लड़ाकों ने तालिबान को चुनौती दी थी। यहां के लोगों को डर था कि आतंकी उन्हें मौत के घाट उतार देंगे।

पंजशीर में ही मिली थी चुनौती

पंजशीर प्रांत के अधिकांश इलाकों में केवल बुजुर्ग और जानवर ही बचे हैं। तालिबान ने हाल ही में यहां कब्जे की घोषणा की थी। तालिबान का कहना है कि उसने घाटी पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है लेकिन पंजशीर के नेताओं ने दावा किया कि संघर्ष अब भी जारी है। ज्ञात हो कि अमेरिकी सेना की वापसी की घोषणा के बाद कुछ ही दिनों में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। केवल पंजशीर में ही उसे चुनौती मिली थी। नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स (एनआरएफ) ने तालिबान के सामने सरेंडर करने से इनकार कर दिया था।