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‘महिलाओं का छोटे कपड़ों में डांस करना अश्लीलता नहीं…’, बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द की FIR

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कि कम कपड़े पहनी महिलाओं का उत्तेजक डांस देखना ‘अश्लील’ नहीं कहा जा सकता और इसके लिए किसी को अपराधी नहीं कहा जा सकता, पांच आरोपियों के खिलाफ साढ़े चार महीने पहले दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया. छह डांसर्स सहित 13 अन्य पर भी मामला दर्ज किया गया था. न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मिकी मेनेजेस की खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि वर्तमान समय में महिलाओं के लिए तैराकी पोशाक या अन्य आकर्षक पोशाक पहनना स्वीकार्य और आम बात है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पीठ ने कहा, ‘छोटी स्कर्ट पहनना और उत्तेजक नृत्य करना, जिसे पुलिस अधिकारियों ने अश्लील माना है और एफआईआर में उल्लेख किया है, को अपने आप में अश्लील नहीं कहा जा सकता है. साथ ही, इससे दर्शकों में से किसी को भी परेशानी नहीं हुई. हम भारतीय समाज में नैतिकता के मानदंडों के प्रति सचेत हैं. और हमने इस तथ्य पर न्यायिक संज्ञान लिया.’ यह कहते हुए कि चूंकि लोग अक्सर सेंसर बोर्ड से पास होने वाली फिल्मों में या दर्शकों को परेशान किए बिना सार्वजनिक रूप से ब्यूटी कंटेस्ट में में इस तरह के कपड़े पहनते हैं, पीठ ने कहा कि आईपीसी की धारा 294 (अश्लील हरकतों या शब्दों के लिए सजा) इस मामले में लागू नहीं होगी.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, ‘अश्लीलता का कारण बनने वाले कृत्यों पर एक संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाना हमारी ओर से उचित नहीं होगा. हम एक प्रगतिशील दृष्टिकोण पसंद करते हैं और पुलिस पर निर्णय छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. हम ऐसी स्थिति का सामना करने में असमर्थ हैं, जहां इस तरह के कृत्यों का उल्लेख किया गया है एफआईआर का निर्णय एक पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाएगा, जो इन कृत्यों को अश्लील और जनता को परेशान करने वाला मानता है.’

याचिकाकर्ताओं ने वकील अक्षय नाइक के माध्यम से 31 मई को उमरेड पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 294 और 34, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 110, 131 ए, 33 ए, 112 और 117, महाराष्ट्र निषेध अधिनियम, 1949 की धारा 65 (ई) के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था.

मामला तब दर्ज किया गया जब पुलिस ने एक निजी रिसॉर्ट के बैंक्वेट हॉल में छापा मारा, जहां याचिकाकर्ता छह कम कपड़े पहनी महिलाओं का कथित तौर पर अश्लील नृत्य देख रहे थे और उन पर 10 रुपये के नकली नोट बरसाए रहे थे. पुलिस की एफआईआर में यह आरोप लगाया गया है कि दर्शक विदेशी निर्मित शराब का भी सेवन कर रहे थे. पुलिस की दलील का विरोध करते हुए, अक्षय नाइक ने दलील दी कि यह मोरल पुलिसिंग का मामला है और कानून धारा 294 के खंड (ए) में अश्लीलता के आधार पर केवल शिकायतकर्ता की व्यक्तिपरक नैतिकता के आधार पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं देता है.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं और डांसर्स के खिलाफ एफआईआर में कोई आरोप नहीं है कि उन्होंने अशोभनीय प्रदर्शन या अपमानजनक भाषा के माध्यम से जनता के किसी भी सदस्य को परेशान किया, जिससे शांति भंग हुई.’ अदालत ने कहा, ‘धारा 131ए सार्वजनिक मनोरंजन के लिए पुलिस अधिनियम के तहत लाइसेंस प्राप्त करने में विफलता के लिए दंड का प्रावधान करती है. यह प्रावधान केवल ऐसी जगह के कब्जे वाले पर लागू होगा, आरोपी पर नहीं.’