महंगाई, आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Prime Minister Shahbaz Sharif) पहले एक इंटरव्यू में भारत (India) के साथ शांति के लिए बातचीत की गुहार लगाते दिखे। हालांकि, इसके चंद घंटों बाद वह अपनी ही बात से पलट गए। उन्होंने कहा कि किसी भी मुद्दे पर अपना रुख नहीं बदला है।
भारत के साथ तीन-तीन युद्ध लड़कर पाकिस्तान ने सबक सीख लिया है…
शरीफ ने अल अरबिया चैनल के साथ साक्षात्कार में कहा कि वह कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ गंभीर बातचीत करना चाहते हैं। भारत के साथ तीन-तीन युद्ध लड़कर पाकिस्तान ने सबक सीख लिया है। इससे गरीबी, बेरोजगारी (Unemployment) और परेशानी के सिवा उसे कुछ नहीं मिला है। अब वह शांति चाहते हैं। हालांकि, मंगलवार को पाकिस्तान के सरकारी टीवी चैनल पर साक्षात्कार के प्रसारण के तुरंत बाद शरीफ के कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि पीएम के बयान को गलत संदर्भ में लिया गया। यह बातचीत तभी संभव है, जब भारत जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता बहाल करता है, जिसे अगस्त 2019 में खत्म कर दिया गया था। भारत जब तक अपने इस कदम को वापस नहीं लेता, बातचीत संभव नहीं है। एजेंसी
आइए हम टेबल पर बैठें, ईमानदार वार्ता करें
शरीफ ने अरब चैनल के साथ सोमवार को बातचीत में कहा था कि दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू कराने में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिसके भारत के साथ बेहतर संबंध हैं। शरीफ ने कहा, भारतीय नेतृत्व व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मेरा संदेश है कि आइए हम टेबल पर बैठें और कश्मीर जैसे ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने के लिए गंभीर व ईमानदार बातचीत करें।
भारत का रुख एकदम साफ :
शरीफ के साक्षात्कार पर भारत की प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, वार्ता पर भारत का रुख साफ है। इसके अनुसार, सबसे पहले पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को बंद करे व बातचीत के लिए उचित माहौल बनाए। किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता भी स्वीकार नहीं है।