बीते दिनों ही ईरान और चीन के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई थी, जिसका असर अब देखा जा रहा है. दरअसल ईरान ने चीन से हाथ मिलाते ही भारत को किनारे कर दिया है. बताया जा रहा है कि ईरान ने चाबहार रेल परियोजना के प्रोजेक्ट से भारत को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. ईरान ने कहा है कि वह इस प्रोजेक्ट को अब अकेले ही तैयार करेगा. इसमें भारत के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. हालांकि इससे पहले साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईरान से गहरी दोस्ती जताते हुए इस प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर कर आए थे. साथ ही यह आश्वासन दिया था कि भारत इस प्रोजेक्ट के लिए फंड जुटा लेगा, ताकि काम शुरू हो सके. लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ा तो फिर चीन ने इसका फायदा उठाते हुए ईरान से यह प्रोजेक्ट ले लिया. बताया जा रहा है कि चीन और ईरान के बीच 400 अरब डॉलर की डील हुई है. वहीं चीन से समझौता होने के बाद ईरान के मूलभूत ढांचे से जुड़े प्रोजेक्ट्स बीजिंग ही पूरे करेगा.
बता दें कि ये रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जानी है और भारत इसके लिए फंड प्रोवाइड कराने वाला था. लेकिन अब चीन से ईरान की डील होने के बाद भारत इस प्रोजेक्ट में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. बीते हफ्ते ही ईरान के ट्रांसपोर्ट और शहरी विकास मंत्री मोहम्मद इस्लामी ने 628 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक को बनाने का उद्घाटन किया था.
ईरान ने ऐलान किया है कि इस प्रोजेक्ट के लिए वह नेशनल डेवलपमेंट फंड से 40 करोड़ डॉलर की धनराशि का इस्तेमाल करेगा. इस रेलवे लाइन को अफगानिस्तान के जरांज सीमा तक बढ़ाया जाना है और इस पूरी परियोजना को मार्च 2022 तक पूरा किया जाना है.
कहा जा रहा है कि ईरान और चीन के बीच जल्द ही किसी बड़े समझौते पर मुहर लग सकती है. वहीं चीन ईरान से बेहद सस्ती दरों पर तेल खरीदेगा, इसके बदले में पेइचिंग ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है.
मालूम हो कि भारत ने ईरान के बंदरगाह चाबहार के डेवलपमेंट पर अरबों रुपये दाव पर लगाए हैं. चाबहार व्यापारिक के साथ-साथ रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है. चूंकि यह चीन की मदद से विकसित किए गए पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से महज 100 किलोमीटर दूर है. अगर भारत के हाथ से यह प्रोजेक्ट निकलता है तो एक बड़ा नुकसान होने की संभावना है. चूंकि भारत एक ऐसा देश है जो ईरान से सबसे ज्यादा कच्चा तेल आया करता है. लेकिन ड्रैगन ने इस प्रोजेक्ट पर सेंधमारी कर भारत के लिए मुश्किलें बढ़ा दी है.