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भंडारा जिला अस्पताल हादसा: सिविल सर्जन सहित दो कर्मचारी निलंबित, लापरवाही के चलते 3 का कॉन्ट्रैक्ट रद्द

महाराष्ट्र के भंडारा जिला अस्पताल में आग लगने की घटना के संबंध में राज्य सरकार ने जिले के सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद खांडते और दो अन्य कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है और तीन लोगों को ड्यूटी में लापरवाही के दोष में नौकरी से निकाला गया है. भंडारा जिला अस्पताल के विशेष शिशु देखभाल केंद्र में नौ जनवरी को लगी आग में 10 बच्चों की मौत हो गई थी. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने गुरुवार को बताया कि घटना के सिलसिले में अपर सिविल सर्जन का तबादला भी कर दिया गया है. पत्रकारों से बातचीत में मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा गठित समिति ने बुधवार देर शाम अपनी रिपोर्ट सौंपी, उसी के आधार पर कार्रवाई की गई है. टोपे ने कहा कि अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा ड्यूटी में लापरवाही के मद्देनजर कार्रवाई की गई है.


छह सदस्यीय समिति ने की जांच महाराष्ट्र सरकार ने 9 जनवरी को ही घटना की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के निदेशक की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की थी. नागपुर के संभागीय आयुक्त संजीव कुमार ने जांच की अगुवाई की. टोपे ने कहा कि सरकार ने भंडारा जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर प्रमोदी खंडाते को निलंबित किया है, अपर सिविल सर्जन डॉक्टर सुनीला बड़े का तबादला किया गया है. उन्होंने बताया कि घटना के वक्त ड्यूटी पर मौजूद मेडिकल अधिकारी डॉक्टर अर्चना मेश्राम और एसएनसीयू की प्रभारी नर्स ज्योति भास्कर को भी ड्यूटी में लापरवाही के लिए निलंबित किया गया है. टोपे ने कहा कि ईकाई के शिशु रोग विशेषज्ञ सुशील अंबाडे और संविदा पर कार्यरत नर्सों स्मिता संजय अम्बिल्दुके और शुभांगी साठवाणे को नौकरी से निकाल दिया गया है. मंत्री ने कहा कि उनके विभाग ने समिति की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से चर्चा की है.


कंट्रोल पैनल में स्पार्क से फैली आग उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार 9 जनवरी को देर रात एक से डेढ़ बजे के बीच रेडिएंट बेबी वार्मर के कंट्रोल पैनल में स्पार्क हुआ था. टोपे ने कहा चिंगारी के कारण ही आग लगी. वार्मर के पास ज्वलनशील वस्तु (जैसे रूई) रखी थी. कुछ बच्चे ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे. इन कारणों से आग फैल गई. कमरा (एसएनसीयू) बंद था. लेकिन वहां प्लास्टिक का सामान होने के कारण आग बुझ गई और चारो ओर धुआं फैल गया. उन्होंने बताया कि फॉरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार, 10 में से तीन बच्चों की मौत जलने से और सात की मौत दम घुंटने से हुई है.