दो गुटों में बंटी लोक जनशक्ति पार्टी को लेकर चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। चुनाव आयोग ने लोकजनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों को अलग-अलग पार्टी के तौर पर मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने पुराना नाम और चुनाव चिह्न भी खत्म कर दिया है। आयोग ने चिराग पासवान के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का नया नाम लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) दिया है और चुनाव चिह्न हेलीकॉप्टर आवंटित किया है। वहीं, उनके चाचा पशुपति पारस को राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी और सिलाई मशीन चुनाव चिह्न प्रदान किया गया है।
गौरतलब है कि एलजेपी के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में दो गुट हो गया था। राम विलास के बेटे चिराग पासवान अकेले पड़ गए थे। वहीं, बाकी सांसद उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ चले गए थे। पार्टी के सिंबल को लेकर चाचा-भतीजा के बीच लगातार तनातनी का माहौल बना हुआ था। दोनों नेताओं की ओर से पार्टी के चिह्न हो लेकर दावा किया जा रहा था। लगातार इसको लेकर सियासत हो रही थी।
चुनाव आयोग ने सिंबल किया था जब्त
पिछले सप्ताह चुनाव आयोग ने लोजपा का चुनाव चिह्न जब्त कर लिया था। चाचा-भतीजा ने चुनाव आयोग से पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न जारी करने की मांग की थी। चुनाव आयोग ने दोनों नेताओं को पार्टी का नाम और चिह्न अलॉट कर दिया है।
चुनाव आयोग ने 4 अक्तूबर को दोपहर 1 बजे तक अपने-अपने गुट के लिए नया नाम और सिंबल का तीन विकल्प देने का आदेश दिया था। जिसपर दोनों गुटों ने आयोग के आदेश का पालन करते हुए जवाब भेज दिया था। आयोग ने मंगलवार को दोनों नेताओं को पार्टी का नया नाम और चुनाव चिह्न जारी कर दिया है।
चिराग ने चाचा पारस पर लगाया था ये आरोप
चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर इस मामले में पशुपति पारस गुट पर आरोप लगाया था कि पशुपति पारस का गुट जानबूझकर नामों और सिंबल का तीन विकल्प देने में देरी कर रहा है ताकि आयोग फैसला नहीं कर सके। चिराग ने आरोप लगाया था कि आयोग की ओर से फैसले में हो रही देरी से उनकी चुनावी तैयारियों पर भी असर पड़ रहा है । चिराग पासवान बिहार विधानसभा की दो सीटों पर 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव में अपने उम्मीदवार उतारना चाहते हैं। कुशेश्वरस्थान और तारापुर की सीट पर चिराग प्रत्याशी उतारेंगे।