योगगुरु बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद ने कोरोना संक्रमितों के शत प्रतिशत उपचार का दावा करते हुए पहली आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल मंगलवार को लांच की। बेशक बाबा रामदेव ने दावा किया कि उनकी दवाई कोरोना के इलाज में कारगर है लेकिन कोरोनिल को लेकर आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) और आयुष मंत्रालय ने पल्ला झाड़ लिया है। आयुष मंत्रालय ने कहा है कि आईसीएमआर के अधिकारी ही इस बारे में सही जानकारी दे पाएंगे जबकि आईसीएमआर के अधिकारियों के मुताबिक आयुर्वेदिक दवा से संबंधित सभी जिम्मेदारी आयुष मंत्रालय का है। जब आयुष मंत्रालय के अधिकारियों से एक मीडिया हाऊस ने कोरोनिल पर सवाल पूछे तो उन्होंने पहले कहा कि आईसीएमआर के अधिकारी नई दवा के संबंध में विवरण देंगे। जब हमने उन्हें आईसीएमआर के बयान के बारे में बताया गया तो तो मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार (उत्तराखंड सरकार) इस मामले में आयुर्वेदिक दवा निर्माता सहित फार्मा फर्म को लाइसेंस देने के लिए जिम्मेदार थी।
अब अगर दोनों विभागों ने इस बारे में कोई अधिसूचना जारी नहीं की है तो इसके प्रसार के लिए पतंजलि को सरकार की परमिशन लेनी आवश्यक हो सकती है। मई में ही आयुष मंत्रालय ने कोरोनोवायरस के उपचार के लिए 4 आयुर्वेदिक रसायनों के क्लीनिकल परीक्षणों की अनुमति दी थी।
इससे पहले हरिद्वार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कोरोनिल को लांच किया गया जिसका सीधा प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किया गया। बाबा रामदेव ने कोरोनिल के साथ श्वासारि वटी और अणुतेल को भी लांच किया। बाबा रामदेव ने कहा कि श्वासारि वटी श्वसन प्रणाली को मजबूत करने वाली दवा है। यह सर्दी, जुकाम और बुखार में ली जाने वाली दवा है। अणुतेल को सुबह में नाक में डालना होता है। कोरोनिल में मौजूद तुलसी, गिलोय और अश्वगंधा रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। कोरोनिल को खाने के बाद दिन में तीन बार लेना है। बाबा रामदेव का दावा है कि यह दवा तीन से सात दिन में कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति को ठीक कर देगी।