कश्मीर में प्रवासी लोगों की आतंकियों द्वारा की गई हत्या के बाद यहां से पलायन तेज हो गया है. प्रवासी मजदूर अपने परिवारों के साथ कश्मीर से निकलने को बेताब हैं. आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यकों और गैर-स्थानीय लोगों की लक्षित हत्या के बाद मंगलवार को भी घाटी के रेलवे स्टेशनों और बस स्टॉप के टिकट काउंटरों पर लोगों की लंबी कतार देखने को मिली.
अधिकारियों ने कहा कि जम्मू और उधमपुर में रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के अंदर और उसके आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है क्योंकि इन जगहों पर बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. ये लोग समय से पहले निकलने के लिए बेताब हैं और कुछ पहुंच चुके हैं और काफ लोग रास्ते में हैं.
मंगलवार को जम्मू में रेलवे स्टेशन के बाहर, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को पानी और ठहरने की बुनियादी सुविधाओं के बिना लंबी कतारों में सड़क किनारे इंतजार करते देखा गया.
अनुमान के अनुसार, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड के 3 से 4 लाख मजदूर, जिनमें से अधिकांश हिंदू हैं, हर साल मार्च की शुरुआत में नौकरियों की तलाश में कश्मीर पहुंचते हैं. वो घर बनाने, बढ़ई के काम के लिए, वेल्डिंग के लिए और खेती के काम के लिए घाटी में पहुंचते हैं और नवंबर में सर्दी के शुरू होने से पहले घर वापस चले जाते हैं.
लेकिन घाटी में अचानक बाहरी लोगों की चुनकर की जा रही हत्याओं ने प्रवासी मजदूरों में भय पैदा कर दी है, जिससे वो जाने के समय पहले ही जम्मू-कश्मीर छोड़कर भागने के लिए तैयार हैं. बीते रविवार को भी, जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों ने बिहार के दो मजदूरों की घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी. घाटी में आतंकियों ने अभी तक 11 लोगों की हत्या कर दी है.
बिहार के सीतामढ़ी जिले के संतोष कुमार ने कहा, ‘मजदूरों की हत्या के बाद गंभीर भय और आतंक है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. इसलिए हम अपनी और अपने बच्चों की जान बचाने के लिए घाटी से भाग रहे हैं.’ पुलवामा जिले के राजपोरा इलाके में एक ईंट भट्ठे पर काम करने वाले मजदूर कुमार ने कहा कि भागने वाले ज्यादातर लोग डरे हुए हैं क्योंकि उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है.