अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फैसले के बाद तालिबान का दबदबा अफगानिस्तान में बढ़ता ही जा रहा है। अफगानिस्तान ही नहीं पाकिस्तान भी तालिबानियों से खौफ खा रहा है और अफगानिस्तान में तनाव बढ़ने की वजह से पाकिस्तान ने सीमा पर अग्रिम चौकियों पर नियमित रूप से सैनिकों की तैनाती कर दी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आंतरिक मंत्री शेख राशिद अहमद ने शनिवार को बताया कि पाकिस्तान ने सीमा पर अग्रिम चौकी से फ्रंटियर कांस्टेबुलरी, लेविस फोर्स और अन्य सुरक्षा बलों को हटा दिया है, इनकी जगह सेना की तैनाती की गई है। पाकिस्तान अफगान सरकार में तालिबान को शामिल किए जाने का हिमायती रहा है। फिलहाल अमेरिका और नाटो सैनिक अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी को पूरा करने के कगार पर हैं।
शेख राशिद अहमद ने कहा कि फ्रंटियर कांस्टेबुलरी बलूचिस्तान और गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले अन्य सुरक्षा बल के जवानों को सीमा पर गश्त से वापस बुला लिया गया है। अब अर्धसैनिक बलों की जगह नियमित सेना के जवान सीमा की निगरानी कर रहे हैं। सीमा पार अस्थिर स्थिति के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है। हालात को देखते हुए न केवल अफगानिस्तान से शरणार्थियों की आमद को रोकने की जरूरत है बल्कि आतंकवादियों के पाकिस्तान में एंट्री को रोके जाने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। शेख राशिद अहमद ने कहा कि फ्रंटियर कांस्टेबुलरी, लेविस फोर्स और रेंजर्स सहित अर्धसैनिक बलों को सीमा पार से तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए तैनात किया गया जाता है, लेकिन अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को देखते हुए पाकिस्तान-अफगान सीमा पर सेना की तैनाती जरूरी हो गई है।
वहीं पाकिस्तान के सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने हाल ही में एक टीवी चैनल को बताया था कि सैनिक सीमा पर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और इस कदम से अफगान धरती या हवाई क्षेत्र से पाकिस्तानी पक्ष में संघर्ष को बढ़ने से रोकने में मदद मिलेगी।मौजूदा हालात में सबसे गंभीर चुनौती शरणार्थियों की आड़ में घुसपैठियों की नहीं बल्कि अफगान सेना के जवानों या तालिबान लड़ाकों की आवाजाही है। एक अधिकारी ने बताया कि हमने देखा है कि तालिबान के साथ संघर्ष से बचने के लिए जुलाई की शुरुआत में एक हजार से अधिक अफगान सैनिक ताजिकिस्तान में भाग गए थे।