Breaking News

पहाड़ों में उगने वाली इस सब्जी में छिपा है पौष्टिकता का खजाना, भगवान राम से जुड़ी है इसकी कहानी

देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति और खानपान की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। यही वजह है कि देश-दुनिया से हर दिन पर्यटक यहां की सैर को पहुंचते हैं। बात अगर यहां उगने वाले फल, सब्जियों की करें तो पौष्टिकता से भरपूर होने के अलावा इनमें स्वाद भी भरपूर होता है। ऐसी ही एक पहाड़ी सब्जी है, राम करेला जिसे पहाड़ी करेला, मीठा करेला, जंगली करेला, परमोला और ककोड़ा के नाम से जाना जाता है। जानकार बताते हैं कि राम करेला लौकी कुल की सब्जी है। इसका वैज्ञानिक नाम सिलेंथरा पेडाटा (एल) स्चार्ड है। इस सब्जी का नाम राम करेला क्यों पड़ा यह तो किसी को पता नहीं, लेकिन किवदंती है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान इसका सेवन किया था।

जानकारों का मानना है कि आकार में छोटा और बीमारियों का रामबाण इलाज होने के कारण इसका नाम राम करेला पड़ा। इसके एक पौधे से सैकड़ों राम करेले प्राप्त किए जा सकते हैं। राम करेले की खास बात यह है कि कम मेहनत में इसका अधिक उत्पादन होता है। इसमें कीट और बीमारियों का प्रकोप भी बेहद कम रहता है। पहाड़ में सितंबर के तीसरे सप्ताह से लेकर अक्टूबर के आखिर तक राम करेले का उत्पादन होता है।

सेहत का खजाना राम करेला
पहाड़ी करेला ( राम करेला ) में भारी मात्रा में आयरन पाया जाता हैं जो कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में लाभदायक होता हैं। इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट और खून को साफ करने वाले तत्व भी होते हैं। पहाड़ी करेला को दूध में उबालकर टॉन्सिलिस्ट का उपचार भी किया जा सकता है। राम करेले का रस उच्च रक्तचाप के अलावा खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को भी ठीक रखता है। धमनी रोग, संचार समस्याओं और शुगर के इलाज में भी कारगर हैं। पहाड़ी करेले के बीजों से बनी चाय से उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में किया जा सकता है। बीजों का पाउडर पेट के कीड़ों को खत्म करने के काम आता है, यह बीज जठराग्नि का भी उपचार हैं।