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नवरात्रि का तीसरा दिन: आज है मां चंद्रघंटा और कुष्मांडा का दिन… जानिए मंत्र, पूजा-विधि और भोग

आज नवरात्रि का तीसरा दिन है, नवरात्रि के तीसरे दिन मां भगवती की तृतीय शक्ति मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार तृतीया और चतुर्थी तिथि एक ही दिन पड़ रही है। जिसके कारण मां चंद्रघंटा और मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ संयोग एक ही दिन बन रहा है। आज शारदीय नवरात्रि की तृतीया तिथि है और मां चंद्रघंटा के साथ कूष्मांडा माता का पूजन भी आज ही किया जाएगा।

मां चंद्रघंटा

आज नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा की तृतीय शक्ति चंद्रघंटा देवी की आराधना की जाती है। इस बार इन्हीं के साथ मां कूष्मांडा का पूजन भी किया जाएगा। मां चंद्रघंटा राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था। इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं। ये  अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण करती हैं। इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है। इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती हैं। अपने भक्तों के लिए मां चंद्रघंटा का स्वरुप सौम्य व शांत है। ये दुष्टों का संहार करती हैं।

मां चंद्रघंटा का भोग-

मां चंद्रघंटा को दूध या फिर दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए।

मां चंद्रघंटा का आराधना मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां कूष्मांडा

नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे रूप कूष्मांडा देवी की पूजा की जाती हैं लेकिन इस बार हिंदी तिथि के अनुसार इनका पूजन तीसरे दिन ही किया जाएगा। इनकी आठ भुजाएं है इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनके शरीर की कांति व प्रभा सूर्य के समान दैदीप्यमान है। ये अपनी अष्ट भुजाओं में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा धारण आदि सभी चीजें करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब चारों ओर अंधकार था तो इन्हीं के द्वारा ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी। इन्हीं के प्रकाश व तेज से दसों दिशाएं प्रकाशित होती हैं। यही सृष्टि की आदिस्वरुपा मां आदिशक्ति हैं।

मां कूष्मांडा का भोग-

मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ अर्पित करना चाहिए।

मां कूष्मांडा आराधना मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।