देश में पेट्रोल व डीजल (Petrol-Diesel Price) की कीमतें हर रोज नया रिकॉर्ड बना रही हैं. वो भी तब जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें काफी कम हैं. भारतीय लोग एक लीटर कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की तुलना में पेट्रोल के लिए चार गुना भुगतान कर रहे हैं. लेकिन अगर तेल पर कुछ टैक्स कम हो जाए तो ऐसी त्राहिमाम से बचा जा सकता है. आइए समझते हैं तेल का पूरा खेल.. आज कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड 63.57 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है और दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य 89 रुपये प्रति लीटर को भी पार कर गया है. जबकि यूपीए के दूसरे कार्यकाल में 2009 से लेकर मई 2014 तक क्रूड की कीमत 70 से लेकर 110 डॉलर प्रति बैरल तक थी. लेकिन तब भी पेट्रोल की कीमत 55 से 80 रुपए के बीच ही रही, क्योंकि उस वक्त टैक्स का बोझ कम था.
बता दें कि घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की रिटेल कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ी हैं. इसका मतलब है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं, तो रिटेल कीमतें कम होनी चाहिए. लेकिन ज्यादातर बार ऐसा नहीं होता है. इसके विपरीत, अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमतों में 13 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद, भारत में कहीं अधिक कीमतों पर पेट्रोल बिका. जनवरी 2020 में, कोरोना लॉकडाउन से पहले क्रूड ऑयल की कीमत लगभग 29 रुपए प्रति लीटर थी. लेकिन ग्राहक तक आते-आते एक लीटर पेट्रोल के लिए 78 रुपए खर्च करने पड़े. फरवरी में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में कटौती के बाद भी महंगा पेट्रोल खरीदना पड़ा. एक भारतीय ग्राहक को पेट्रोल भरवाने के लिए क्रूड ऑयल की कीमत (15.60 रुपए प्रति लीटर) की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक (72.93 रुपए प्रति लीटर) खर्च करने पड़े.
यही नहीं, लॉकडाउन में ढील के बाद क्रूड ऑयल की कीमत इस साल जनवरी में 25 रुपए प्रति लीटर हो गई. लेकिन ग्राहकों को पेट्रोल के लिए फिर भी 87.57 रुपए प्रति लीटर की दर से जेब ढीली करनी पड़ी. ऐसा इसलिए है, क्योंकि क्रूड ऑयल की कीमतें गिरने के बाद सरकार नए टैक्स लगा देती है. 5 मई, 2020 को क्रूड ऑयल की कीमतें 28.84 रुपए प्रति लीटर से 14.75 रुपए पर आ गई थी. लेकिन सरकार ने पेट्रोल पर रिकॉर्ड 10 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से एक्साइज ड्यूटी लगा दी. इससे सरकार को 1.6 लाख करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ.
कोरोना महामारी के दौरान तेल के अलावा हर क्षेत्र में टैक्स कलेक्शन गिरा. लेकिन सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी के रूप में 2019 की तुलना में रिकॉर्ड 48 प्रतिशत अधिक टैक्स कलेक्ट किया. अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 160 प्रकार के क्रूड ऑयल का कारोबार होता है. क्रूड ऑयल को उनकी भौगोलिक पहचान जैसे ब्रेंट क्रूड, ओमान क्रूड, दुबई क्रूड, ओपेक, डब्ल्यूटीआई आदि के नाम से जाना जाता है. भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का लगभग 80 फीसदी विदेशों से आयात करता है.
गौरतलब है कि जिस पेट्रोल के एक लीटर की कीमत करीब 30 रुपए है. उसपर एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और वैल्यू ऐडेड टैक्स जुड़ने के बाद उसकी कीमत 86-87 रुपए पहुंच जाती है. यानी कि अगर टैक्स कम हो जाए तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हो सकती हैं. बता दें कि रिफाइनरियां क्रूड ऑयल को 29.34 रुपए प्रति लीटर में खरीदती हैं. ओएमसी डीलर से 29.71 रुपए और केंद्र एक्साइज ड्यूटी के रूप में 32.98 रुपए लेता है. इसके बाद इस पर डीलर तब 3.69 रुपए का कमीशन जोड़ते हैं. इसके बाद राज्य का वैट या बिक्री कर 19.92 रुपए जुड़ता है. और फिर अंत में ग्राहक के पास पेट्रोल पंप पर प्रति लीटर 86 रुपए के करीब पेट्रोल बिकता है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कीमतों के आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में संशोधन करती हैं. सरकार का मूल्य निर्धारण पर कोई नियंत्रण नहीं है. इस बाबत पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सदन में बयान दिया है.