रिपोर्ट:- गौरव सिंघल, विशेष संवाददाता,दैनिक संवाद, सहारनपुर मंडल,उप्र:।।
देवबंद (दैनिक संवाद न्यूज)। राष्ट्रीय परशुराम सेना प्रदेश उपाध्यक्ष और युवा ब्राह्मण नेता रोहित कौशिक ने बयान देते हुई कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत का जाति प्रथा को लेकर ब्राह्मण समाज पर लगाया गया आरोप कतई निराधार और समाज को बरगलाने वाला है। ब्राह्मण समाज ने कभी जातिगत भेदभाव नहीं किया है। हजारों वर्ष पूर्व भगवान मनु ने लिखी अपनी पुस्तक मनुस्मृति में मनुष्य जाति को कर्मों(उनके कार्यों) के आधार पर अलग-अलग नाम से केवल पहचान के लिए नाम दिए थे। उन्होंने चार वर्ण बनाए इनमें ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य और शूद्र थे इन वर्णों को बनाने का उनका अभिप्राय केवल कार्यों के आधार पर उसकी पहचान करना था।
उन्होंने जो लोग पूजा पाठ कराने का कार्य करते थे उनको ब्राह्मण नाम से पुकारा, लोग व्यापार करते थे उनको वैश्य जो लोग शस्त्र विद्या में निपुण होकर अपने राष्ट्र की सेवा करते थे वह राजपूत कहे इसी प्रकार से अन्य कार्य करने वालों की श्रेणी को शूद्र नाम दिया गया मनु जी का शुद्र शब्द से कोई ऐसा अर्थ नहीं था कि उनको निम्न श्रेणी में समझा जाए। चारों वर्ण समान श्रेणी में आते हैं। केवल अलग-अलग कार्यों में पहचान के अंतर्गत अलग-अलग नाम दिए गए हैं । शुद्र शब्द के अंदर समाज में तमाम सेवाएं उपलब्ध कराने वाले जैसे हस्तकला कार्य, सफाई के कार्य, खेतों में मजदूरी के कार्य आदि आते थे। अब राजनीति के चलते इस व्यवस्था को बड़ी चालाकी से अपने-अपने रूप में अपने अपने स्वार्थ के लिए अलग-अलग तरीके से पेश किया जा रहा है।
भगवान ने सबको एक समान, एक स्वरूप बनाया फिर भेदभाव कैसा? यह तो अपने निजी स्वार्थों के चलते हम सबने बनाए हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत ऐसे कैसे कह रहे हैं कि जातिगत भेदभाव के पैदा करने वाले पंडित हैं। यह भी उस समय में जब विपक्षी पार्टियां भी कुछ इसी प्रकार की बातें कर रही हैं। तमाम हिंदू समाज संघ का बहुत ही सम्मान करता है, जहां तक वह समझते है कि स्वयंसेवकों में ब्राह्मण समाज का भी बड़ा योगदान है फिर समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर संघ प्रमुख मोहन भागवत ऐसा क्यों बोल रहे हैं।