तुर्की के सी ऑफ मारमारा को समुद्री गोंद या ‘Sea Snot’ ने ढंक लिया है और इससे बड़ी तादाद में समुद्री जीवों के मरने की आशंका जताई जाने लगी है। जेली के जैसा यह पदार्थ उस समय पैदा होता है जब शैवाल जलवायु परिवर्तन और जल प्रदूषण की वजह से पोषक तत्वों से भर जाता है। समुद्र के अंदर जेली के फैलने पर पर्यावरणविदों और बॉयोलॉजिस्टों ने चेतावनी दी है। उधर, तुर्की के राष्ट्रपति तैयप रेसेप एर्दोगान इस आपदा से टेंशन में आ गए हैं और उन्होंने समुद्र को बचाने का प्रण किया है।
तुर्की में सी स्नॉट का पहला मामला वर्ष 2007 में आया था लेकिन इस साल यह बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इस वजह से समुद्री जहाज और नौकाएं समुद्र के अंदर जाम में फंस गए हैं। वहीं जिन समुद्री इलाकों में यह ‘सी स्नॉट’ फैला है, उसके अंदर मछलियां और मूंगे घिर गए हैं। इससे मछलियों के दम घुटने से मरने की आशंका भी जताई जा रही है। मछुआरे भी मछली नहीं पकड़ पा रहे हैं।
सी स्नॉट की वजह से व्यापार ठप हो गया
सी स्नॉट मारमारा के समुद्र में पाया जाता है लेकिन अब यह काला सागर और ऐइगिआन समुद्र में भी यह फैलने लगा है। विशेषज्ञों का आरोप है कि केमिकल और औद्योगिक कचड़े तथा जलवायु परिवर्तन की वजह से यह फैला रहा है। मारमारा समुद्र काला सागर और ऐइगिआन समुद्र को जोड़ता है। इसकी सीमा पर तुर्की के पांच राज्य हैं और देश की सबसे अधिक आबादी वाला शहर इस्तांबुल भी इसके तट पर मौजूद है। सी स्नॉट की वजह से व्यापार ठप हो गया है और नौकाओं को दूसरे रास्तों से भेजा गया है।
सी स्नॉट की वजह से तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने आशा जताई है कि हम इस आपदा से अपने समुद्र को बचा सकेंगे। एर्दोगान ने आरोप लगाया कि सीवेज का बिना शोधित पानी समुद्र में फेंक दिया जाता है। इसके अलावा तापमान भी लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे पूरे मामले की जांच करें। उन्होंने कहा, ‘मेरी चिंता यह है कि यदि यह काला सागर तक फैल जाता है तो संकट काफी बढ़ जाएगा। हमें इस कदम को बिना देरी के उठाना होगा।’