भारत (India) ने दुनिया में पहली बार ड्रोन (Dron) के जरिए प्राथमिक अस्पतालों (primary hospitals) तक रक्त (Blood) पहुंचाने व टीबी की इलाज अवधि को कम करने में कामयाबी हासिल की है। अब तक पांच परीक्षणों (five tests) में कामयाबी हासिल करने वाला यह दुनिया का इकलौता देश (the only country in the world) है।
ग्रामीण, खासकर दुर्गम स्थल के निवासियों में टीबी की इलाज (TB treatment) अवधि को कम करने में ड्रोन ने अहम भूमिका निभाई है। यह दो पायलट प्रोजेक्ट सरकार की उस चार लेयर नीति का हिस्सा हैं जिसे ड्रोन परीक्षण के लिए कुछ ही समय पहले अनुमति दी गई। अब केंद्र की ओर से राज्यों के मार्गदर्शन के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में ड्रोन प्रयोग के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, भारत में पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल कर साल 2020 व 2021 में कोरोना टीके और दवाओं को दुर्गम स्थानों तक पहुंचाया गया। इसमें सफलता के बाद सरकार ने चार और नए कामों के लिए ड्रोन परीक्षण का फैसला लिया। इसके तहत वैज्ञानिकों की टीम भी गठित हुई। इनका पहला कार्य एक से दूसरे अस्पताल तक रक्त पहुंचाना था। रक्त में प्लेटलेट्स सहित सभी घटकों को नुकसान पहुंचाए बगैर ड्रोन से आपूर्ति के लिए दिल्ली और नोएडा को चुना गया। इस साल अप्रैल माह में ट्रायल शुरू हुआ जिसके परिणाम हाल ही में जारी हुए हैं।
दूसरा परीक्षण तेलंगाना के यद्रादी इलाके में इसी साल शुरू हुआ। यहां के दूरदराज गांव से टीबी संदिग्ध मरीज का सैंपल लेकर बड़े अस्पताल में जांच के लिए ड्रोन से भेजा गया। एक ही दिन में सैंपल जाने के बाद शाम तक रोगी को रिपोर्ट आई और तीन माह की दवाएं भी ड्रोन से प्राप्त हुईं। तीन से चार महीने तक रोज यह अभ्यास किया गया। इसके आंकड़े वैज्ञानिकों तक पहुंच गए हैं।
आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया, ‘भारत में ऐसे कई गांव हैं, जहां से जिले तक पहुंचने में लोगों को 20 से 30 घंटे तक का समय लगता है। इसी समय को कम करने, आखिरी छोर तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने, मरीज की तुरंत जांच व इलाज शुरू करने के लिए ड्रोन की एक बड़ी भूमिका सामने आई है।’