र क्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ ने स्वदेशी ज्ञान कौशल से विकसित दूसरी सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट ( एस एफ डी आर) नामक मिसाइल का शुक्रवार सुबह 11:00 बजे ओडिशा के बालेश्वर के चांदीपुर के परीक्षण स्थल एल सी 3 से सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
यह भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक मिसाइल प्रणोदन तकनीक है। यह भारत की सर्फेस टू एयर और एयर टू एयर दोनों ही मिसाइलों को बेहतर प्रदर्शन करने और इनकी स्ट्राइक रेंज को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे कि वह अधिक शक्तिशाली बनेंगे।
रैमजेट वायु स्वास्थ जेट इंजन का एक रूप है जो घूर्णन कंप्रेस के बिना आने वाली हवा को कम प्रेस करने के लिए वाहन की आगे की गति का उपयोग करता है। एक रैमजेट संचालित वाहन को एक रॉकेट की तरह ही एक सहायक टेक ऑफ की आवश्यकता होती है, जो इसे उस गति तक ले जाने में सहायक होता है जहां से इस में जोर पैदा होना शुरू होता है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 100 से 120 किलोमीटर तक है।
सूत्रों की माने तो वर्तमान समय की जो मांग है जो अत्याधुनिक सिस्टम से लैस मिसाइलें पूरे विश्व में बनाए जा रही हैं। इसी का एक उत्कृष्ट नमूना इस मिसाइल को बताया जा रहा है आज इसके परीक्षण के मौके पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन डीआरडीओ तथा आईटीआर अंतरिम परीक्षण परिषद से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों का दल मौके पर मौजूद था।
यहां उल्लेखनीय है कि आने वाले दिनों में भारत और कई अत्याधुनिक मिसाइलों का परीक्षण करेगा तथा आज पूरी विश्व में मेक इन इंडिया के तहत भारतीय वैज्ञानिक अपने ज्ञान कौशल को बढ़ावा दे रहे है तथा भारतीय वैज्ञानिक अपने विज्ञान और ताकत का इजहार पूरे विश्व में कर रहे हैं कि हम किसी से कम नहीं है। यहां उल्लेखनीय है कि आने वाले चंद दिनों में भारत स्वदेशी ज्ञान कौशल से निर्मित और कई भारी-भरकम मिसाइलों से लेकर छोटे-छोटे रॉकेटों का सफलतापूर्वक परीक्षण करने वाला है। इसके लिए भारतीय वैज्ञानिक तथा डीआरडीओ पूरी तैयारी भी कर ली है।