मुख्तार अंसारी बांदा जेल में है, यहां उसके काले कारनामों की फाइलें खुल रही हैं और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उसकी पेशी भी हो रही है. मुख्तार के बारे में कहा जाता है कि ये जेल से अंदर रहे या बाहर, फर्क नहीं पड़ता, वो जब चाहे जहां चाहे और जैसे चाहे खेल करवा सकता है, लेकिन अब ये गुजरे जमाने की बातें है. बांदा जेल में मुख्तार पर कड़ी नजर रखी जा रही है. सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे के साये में हैं मुख्तार.
एक ऐसा माफिया जिसके लिए जेल का मतलब ऐशगाह होती थी. एक ऐसा माफिया जो बाहर से ज्यादा जेल के अंदर बैठकर आपराध का साम्राज्य चलाता था. अब उस माफिया के अच्छे दिन जा चुके हैं. मुख्तार अंसारी के माफिया राज का गेमओवर हो चुका है. बांदा जेल में जबसे मुख्तार आया है यहां की सुरक्षा व्यवस्था बदल गई है. जब से सीएम योगी ने सूबे की कमान संभाली है, तब से यूपी की जेलों से ऑपरेट करने वाले अपराधियों का नेटवर्क टूटा है. इसी कड़ी में मुख्तार अंसारी के अंडर कवर नेटवर्क को भी सीएम ने तोड़ दिया है. वैसे तो यूपी के हर जेल की निगरानी की जाती है, लेकिन बांदा जेल की विशेष निगरानी की जा रही है. सीसीटीवी कैमरो के साथ साथ यहां ड्रोन कैमरे हवा में उड़ाए जा रहे हैं, जो पल पल की अपडेट सीधे डीजी जेल के ऑफिस में भेजते हैं.
बांदा जेल में आने वाले हर शख्स पर नजर रखी जा रही है, जेल की एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर एडवांस डिटेक्टर लगाए गए हैं, जो सिमकार्ड जैसी छोटी चीज को भी ट्रेस कर लेते हैं. मुख्तार जैसे अपराधियों की गतिविधयों पर नजर रखने के लिए बॉडीवार्न कैमरा भी है, जिसे जेल के स्टॉफर पहनते है. इस कैमरे से ली गई हर तस्वीर भी सीधे लखनऊ कंट्रोल रूम जाती है.
बांदा जेल के जिस बैरक में मुख्तार को रखा गया है उसकी विशेष निगरानी की जा रही है. बांदा जेल में जो कैमरे इनस्टाल किए गए हैं. उनसे क्लयीर पिक्चर क्वालिटी के साथ वीडियो रिकॉर्ड होता है. जेल में जो कैमरे लगाए गए हैं वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तौर पर काम करते हैं. यानी की अगर कोई भी शख्स तय नियमों से इतर कुछ भी करेगा तो ये कैमरे कंट्रोल रूम के अलर्ट भेज देते हैं.