भगवान श्रीकृष्ण को जन्म देवकी माता ने दिया था, लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा मैया ने किया. मां यशोदा के सामने ही श्रीकृष्ण ने तमाम बाल लीलाएं कीं. उन्हीं में से एक ब्रह्मांड लीला थी, जब नन्हें कन्हैया ने यशोदा माता को अपने मुंह के अंदर ब्रह्मांड के दर्शन करा दिए थे.
जिस स्थान पर कान्हा ने ये लीला की थी, वहां आज भी एक मंदिर बना हुआ है. उस मंदिर को ब्रह्मांड बिहारी मंदिर कहा जाता है. आज 4 मार्च को यशोदा जयंती (Yashoda Jayanti 2021) के मौके पर जानिए कृष्ण की ब्रह्मांड लीला और गोकुल में स्थित ब्रह्मांड बिहारी मंदिर के बारे में.
गोकुल के ब्रह्मांड घाट पर है मंदिर
गोकुल स्थित यमुना के ब्रह्मांड घाट पर ब्रह्मांड बिहारी का मंदिर है. बताया जाता है कि ये वही स्थान है जहां कृष्ण ने मिट्टी खाकर माता यशोदा को मुंह में ब्रह्मांड दिखाया था. इसीलिए उस स्थान को ब्रह्मांड घाट के नाम से जाना जाता है.
मंदिर में चढ़ाया जाता है मिट्टी के पेड़े का प्रसाद
ब्रह्मांड बिहारी मंदिर में आज भी श्रीकृष्ण को मिट्टी का भोग लगाया जाता है. मंदिर के पास ही यमुना नदी बह रही है. यमुनाघाट से मिट्टी निकलवाई जाती है और उसे सुखाकर, कूटकर और छानकर उसके पेड़े तैयार किए जाते हैं. मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इन्हीं पेड़ों का प्रसाद श्रीकृष्ण को चढ़ाते हैं और खुद भी खाते हैं.
जानिए श्रीकृष्ण की ब्रह्मांड लीला
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण बचपन में मिट्टी खाया करते थे. एक बार दोस्तों के साथ खेलते हुए उन्होेंने मिट्टी खा ली. भगवान श्रीकृष्ण को मिट्टी खाते हुए बलराम ने देख लिया और मां यशोदा से शिकायत कर दी.
इसके बाद माता यशोदा तुरंत ही बाहर आईं और भगवान श्रीकृष्ण को डांटने लगी और पूछने लगीं कि क्या तूने मिट्टी खाई है. इस पर नन्हें कान्हा ने बड़ी मासूमियत से इंकार कर दिया. इसके बाद माता यशोदा ने उन्हें डांटा और कहा कि तू झूठ बोल रहा है. कान्हा ने कहा कि नहीं मैया मैंने मिट्टी नहीं खाई.
इसके बाद गुस्से में यशोदा माता ने उनसे मुंह खोलकर दिखाने के लिए कहा. माता की आज्ञा पाकर कान्हा ने धीरे-धीरे अपना मुंह खोलना शुरू कर दिया. जैसे ही माता यशोदा ने भगवान के मुंह को देखा वो बेहोश हो गईं क्योंकि उनके मुंह में उन्हें मिट्टी नहीं बल्कि पूरा ब्रह्मांड दिखाई दे दिया था.