एमपी विधानसभा चुनाव 2023 में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, यही वजह है कि तमाम राजनीतिक दलों ने क्षेत्रीय,जातीय, सियासी समीकरण साधना शुरू कर दिया है. इस सबके बीच आदिवासियों के बड़े संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन यानि जयस ने कांग्रेस को झटका दे दिया है. जयस अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ेगी. उसने प्रदेश की 80 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.
पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकिट से विधायक चुनकर आए जयस के संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा भी इस बार जयस के निशान पर ही चुनाव लड़ेंगे. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं और इसके अलावा कई सीटों पर आदिवासी वोट अच्छा खासा दखल रखता है. जयस ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी जोर से शुरू कर दी है.
पार्टी प्रदेश के विभिन्न समाजों और संगठनों का समर्थन हासिल करने में जुटी हुई है. एससी अनुसूचित जाति सामाजिक संगठन, धनगर समाज, लोधी और यादव समाज का समर्थन पार्टी को मिल चुका है. ओबीसी महासभा से चुनाव में साथ आने के लिए चर्चा चल रही है. जयस मिशन युवा नेतृत्व की थीम पर चुनाव लड़ेगी, नेताओं ने दावा किया कि ज्यादातर टिकट पढ़े-लिखे युवाओं को दिया जाएगा. वहीं कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रविराज बघेल ने कहा कांग्रेस आदिवासियों और गरीबों के मुद्दों को लेकर प्रमुखता से मुखर नहीं रही.
अपने पुराने साथी जयस के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा पर कांग्रेस ने कहा आदिवासी वर्ग कांग्रेस के साथ है. पार्टी ने उन्हें हक और अधिकार देने का काम किया है. चुनाव में अभी 11 महीने बाकी हैं. इस दौरान कई परिस्थितियां बदल जाएंगी. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाई थी. जयस कांग्रेस से जुड़ा हुआ संगठन रहा है. उसके अध्यक्ष भी कांग्रेस से ही विधायक बने हैं. आदिवासी समाज कोई गलती नहीं करेगा और कांग्रेस को ही जिताएगा.
जयस के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद चल रही सियासी उठापटक में भाजपा भी मैदान में उतर आई है. भाजपा प्रदेश सचिव रजनीश अग्रवाल ने कहा जयस झूठ बोलता है. पहले भी अलग चुनाव लड़ने की बात कही और कांग्रेस से जाकर मिल गए थे. जयस आदिवासियों को धोखा ना दे. कांग्रेस से सौदेबाजी करने के लिए वो चुनाव लड़ रहा है तो पूरी स्थिति नक्की पक्की कर ले.