अमरजीत सिंह टिक्का ने बताया कि वह पिछले 37 सालों से पार्टी के वफादार सदस्य रहे हैं. उनका परिवार पिछली 3 पीढ़ियों से कांग्रेसी समर्पित रहा हैं. उन्होंने बताया कि उनके दादा जस्टिस हरनाम सिंह बिंद्रा, जो पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पहले सिख न्यायाधीश थे और जवाहरलाल नेहरू, उनके पिता सरदार के करीबी सहयोगी थे. जोध सिंह बिंद्रा इंदिरा गांधी के करीबी सहयोगी थे.
कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं ने की बगावत
कांग्रेस में टिकट वितरण के बाद पार्टी में असंतुष्ट नेताओं ने बगावत शुरू कर दिया है. ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. पहले गुरप्रीत गोगी और जसबीर सिंह जस्सी खंगूड़ा के इस्तीफे के बाद अब वरिष्ठ नेता केके बावा और पंजाब मीडियम इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन अमरजीत सिंह टिक्का ने भी इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले लुधियाना दक्षिण से टिकट न मिलने की आशंका को देखते हुए जिला कांग्रेस के दस साल तक प्रधान रहे गुरप्रीत गोगी ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था. वह लुधियाना पश्चिम से मंत्री आशु के खिलाफ आप के टिकट से ताल ठोंक चुके हैं. जगराओं के अवतार सिंह चीमना ने तो मीनाक्षी लेखी की उपस्थिति में भाजपा ज्वाइन कर ली.
कांग्रेस की बढ़ी मुश्किलें
आपको बता दें कि इससे पहले साहनेवाल से सतविदर कौर बिट्टी, जगराओं से अवतार सिंह चीमना सहित छह नेता बागी हो चुके हैं. समराला से चार बार के विधायक अमरीक सिंह ढिल्लों ने भी आजाद उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है, जबकि किला रायपुर से पूर्व विधायक जसबीर सिंह जस्सी खंगूड़ा पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस की मुसीबतें और बढ़ती जा रही है.