सीमा पर हेकड़ी दिखा रहे चीन को मोदी सरकार ने एक और तगड़ा झटका दिया है। सरकार ने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट से दो चीनी कंपनियों की बोली रद्द कर दी है। यह ठेका करीब 800 करोड़ रुपये का था। इन कंपनियों को लेटर ऑफ अवॉर्ड देने से इंकार कर दिया गया है। अब यह ठेका दूसरे सबसे कम रेट पर बिड करने वाली फर्म को दिया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, यह ठेका दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के दो खंड के लिए था। दोनों चीनी कंपनियां चीन जिगांक्सी कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन की सब्सिडियरी हैं। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्रालय ने करीब 800 करोड़ रुपये के इन ठेकों को रद्द कर दिया है। दोनों कंपनियां बिड करने में सफल हुई थीं। इसके बावजूद उन्हें लेटर ऑफ अवॉर्ड नहीं दिया गया। यह ठेका अब दूसरी सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी को दिया जाएगा।
गौरतलब है कि हाल में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ऐलान किया था कि चीनी कंपनियों को राजमार्ग परियोजनाओं से बाहर कर दिया जाएगा। नितिन गडकरी ने कहा था कि चीनी कंपनियों को संयुक्त उद्यम पार्टनर के रूप में भी काम नहीं करने दिया जाएगा।
इसके पहले भारतीय रेलवे ने एक चीनी कंपनी को दिया गया 471 करोड़ रुपये का सिगनलिंग का ठेका कैंसिल कर दिया था। यह ठेका पहले बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च ऐंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऐंड टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क को दिया गया था। यह कंपनी कानपुर से दीनदयाल उपाध्याय नगर खंड के बीच 417 किमी लंबे खंड पर काम कर रही थी। कंपनी ने करीब 20 फीसदी काम कर भी लिया था।
गौरतलब है कि पिछले महीने भारत-चीन नियंत्रण रेखा पर हुई एक हिंसक झड़प में हमारे देश के 20 वीर सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। चीन का आर्थिक झटका देने की कोशिश के तहत ही देश में चीनी माल के बहिष्कार का अभियान चल पड़ा और सरकार भी लगातार चीनी आयात पर अंकुश और चीनी कंपनियों को सरकारी ठेकों से बाहर करने के प्रयासों से चीन को झटका देने में लगी है।