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चीन को चारों खाने चित करने की तैयारी में भारत, ताइवान से करेगा व्‍यापार समझौता

चीन से बिगड़ते रिश्‍ते के बीच भारत ने ड्रैगन को बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार अब औपचारिक रूप से ताइवान के साथ व्यापार समझौते कर रहा है, क्योंकि दोनों देशों के इस समय चीन के साथ संबंधों खराब हैं और भारत इस मौके पर भुनाना चाहता है।

ताइवान सरकार ने कई वर्षों से भारत के साथ व्यापार वार्ता की मांग की है, लेकिन सरकार इसे आगे बढ़ने के लिए अनिच्छुक रही है, क्योंकि इससे चीन के साथ रिश्‍ते खराब होने का डर था।

अधिकारी ने कहा कि ताइवान के साथ एक व्यापार समझौते से तकनीकी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अधिक निवेश करने के भारत के लक्ष्य में मदद मिलेगी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बातचीत शुरू करने पर अंतिम निर्णय कब लिया जाएगा।

इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने ताइवान की फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप, विस्ट्रॉन कॉर्प और पेगाट्रॉन कॉर्प सहित फर्मों को मंजूरी दे दी थी, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी पांच साल के लिए स्मार्टफोन उत्पादन के लिए 10.5 ट्रिलियन रुपये (143 अरब डॉलर) से अधिक के निवेश को आकर्षित करना चाह रहे हैं।

भारत के साथ कोई भी औपचारिक वार्ता ताइवान के लिए एक बड़ी जीत होगी, जिसने चीन के दबाव के कारण अधिकांश प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार वार्ता शुरू करने के लिए संघर्ष किया है। अधिकांश देशों की तरह भारत ने ताइवान को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है, लेकिन दोनों सरकारों ने “प्रतिनिधि कार्यालयों” के रूप में अनौपचारिक राजनयिक मिशनों को बनाए रखा है।

भारत और ताइवान ने 2018 में आर्थिक संबंधों को और विस्तारित करने के लिए एक द्विपक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। वाणिज्य विभाग के अनुसार, 2019 में दोनों देशों के बीच व्यापार 18% बढ़कर 7.2 बिलियन डॉलर हो गया।

राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के प्रशासन ने हाल के सप्ताहों में चीन द्वारा भारतीय मीडिया के आउटलेट्स को ताइवान के एक देश के रूप में संदर्भित न करने के बयान के बाद भारत में अपनी चलह कदमी बढ़ा दी है। भारत में ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने चीन और उसके नई दिल्ली के राजदूत सन वेइदॉन्ग को ताइवान की प्रशंसा करते हुए और हैशटैग #TaiwanNationalDay को वायरल करते हुए जमकर लताड़ा था।

ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा, “हमें समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करने के तरीके के बारे में सोचना होगा। हमारे जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ पारंपरिक अच्छे संबंध हैं और हम भारत के साथ भी घनिष्ठ संबंध विकसित करना चाहते हैं।”