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चीन और पाकिस्तान पर भारी पड़ेगी कानपुर की ‘सारंग’, ऐसे बरसायेगी गोले

पहाड़ों पर छिपे हुए दुश्मनों के ठिकानों को तबाह करने और दुनिया की किसी भी आर्टिलरी गन पर भारी पडने वाली सारंग तोप को बनाया गया है। कानपुर की एडवांस्ड वेपेन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड में तैयार सारंग तोप को हर मौसम और परिस्थिति के अनुसार बनाया गया है। यह तोप इजरायल की सोल्टम आर्टिलरी गन का अपग्रेड वर्जन है। सारंग मेक इन इंडिया के तहत देश में बनी पूर्णतः स्वदेशी तोप है। बेशुमार ताकत वाली यह तोप किसी भी क्षेत्र में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में पूर्णतः सक्षम है। दोनों मोर्चे चीन और पाकिस्तान पर यह तोप भारी पड़ेगी।

ऐसे बढ़ी 10 किलोमीटर मारक क्षमता

एडवांस्ड वेपेन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड के कार्य प्रबंधक अनुराग तिवारी ने बताया कि इजरायल की सोल्टम आर्टलरी गन को कानपुर की में अपग्रेड किया गया। अपग्रेडेशन के तहत इसके ट्यूब साइज को 135मिलीमीटर की जगह 155मिलीमीटर किया गया है। सोल्टम आर्टलरी गन सारंग की मारक क्षमता में इजाफा हुआ है। पहले सोल्टम आर्टलरी गन की मारक क्षमता 25 से 28 किलोमीटर थी जो अपग्रेडेशन के बाद सारंग के रूप में बढ़कर करीब 38 किलोमीटर हो गई है। इसके अलावा इसके कैलिबर को भी अपडेट करके 45 किया गया। कैलिबर को अपग्रेड करने से इसकी मारक क्षमता में और सटीकता भी आई है।

किसी भी मौसम में हमला करने में सक्षम है सारंग

सारंग का परीक्षण सिक्किम की बेहद ऊंचाई वाले इलाकों से लेकर जैसलमेर के तपते रेगिस्तान में किया गया है। पहाड़ की ऊंचाई और तपते रेगिस्तान दोनों ही माहौल में सारंग सौ फीसदी सफल रही। किसी भी मौसम में यह दुश्मनों पर काल बनकर गोलों की वर्षा कर सकती है। इसकी ताकत इसकी एक्यूरेसी है जो दुनिया की किसी तोप में नहीं पाई जाती है।

नाटो की तर्ज पर ट्यूब साइज को बढ़ाया

देश में नाटो देश की तर्ज पर आयुध तैयार किए जा रहे हैं। निर्माण करने वाले इंजीनियरों ने भी अब तोप आदि के ट्यूब साइज 155मिलीमीटर व 45 कैलिबर बनाए जाते है। इसके अलावा 130 मिलीमीटर वाली सभी तोपों, टैंकों को 155 कैलिबर में अपग्रेड किया गया है। सबसे पहले नाटो देशों में ऐसा हुआ। इसकी प्रमुख वजह सभी तोपों में एक ही साइज के गोले आदि लग सकें। इस परिवर्तन के चलते अब अलग-अलग किस्म के गोले आदि भी नहीं तैयार करने पड़ेंगे। इससे उत्पादन भी तेजी से हो सकेगा।