आतंक के आका पाकिस्तान (Pakistan)को आतंकवादियों के पालने की सजा तेजी से मिल रही है। पाकिस्तान में बदलाव का दावा करके सत्ता में आए इमरान खान के कार्यकाल में देश के हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। पाकिस्तान में लगातार बम धमाकों की गूंज सुनाई पड़ रही है। आतंकी हमले से सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं। अब बलूचिस्तान प्रांत में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति को बम से उड़ा दिया गया है। बम से जिन्ना की मूर्ति तोड़े जाने से पाकिस्तान को चेहरा दुनिया में एक बार फिर बेनकाब हो गया है। बलूचिस्तान प्रांत के तटीय शहर ग्वादर में बलूच रिपब्लिकन आर्मी ने इस घटना को अंजाम दिया है। इस मूर्ति जाने के साथ ही बलूच रिपब्लिकन आर्मी ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है।
पाकिस्तानी मीडिया हाउस डॉन अखबार के अनुसार ग्वादर में जिन्ना की मूर्ति जून महीने में मरीन ड्राइव पर लगाई गई थी। इस पूरे इलाके को काफी सुरक्षित माना जाता है लेकिन इसके बावजूद भी उग्रवादियों ने जिन्ना की मूर्ति को बम धमाका करके नष्ट कर दिया। पाकिस्तान को मूर्ति तोड़े जाने से धक्का लगा है। प्रतिबंधित रिपब्लिकन आर्मी के प्रवक्ता बागबर बलूच ने बम धमाके की जिम्मेदारी ट्विटर के जरिए से ली है। उन्होंने ग्वादर के उपायुक्त मेजर (सेवानिवृत्त) अब्दुल कबीर खान के हवाले से कहा कि मामले की उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि विस्फोटक लगाकर जिन्ना की प्रतिमा को नष्ट करने वाले उग्रवादी पर्यटकों के रूप में क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे। मूर्ति तोड़े जाने के मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि एक-दो दिन में जांच पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि हम मामले को सभी एंग्लस से देख रहे हैं और जल्द ही दोषियों को पकड़ लिया जाएगा।
बलूचिस्तान के पूर्व गृह मंत्री और मौजूदा सीनेटर सरफराज बुगती ने ट्वीट किया है। ग्वादर में कायद-ए-आजम की मूर्ति को गिराना पाकिस्तान की विचारधारा पर हमला है। मैं अधिकारियों से अपराधियों को उसी तरह से दंडित करने का अनुरोध करता हूं जैसे हमने जियारत में कायद-ए-आजम निवास पर हमले के लिए किया था। हमलावरों को कड़ी सजा दी जाएगी। साल 2013 में जियारत में जिन्ना द्वारा इस्तेमाल की गई एक 121 साल पुरानी इमारत में विस्फोट कर दिया गया था। इमारत को उड़ा दिया था। विस्फोट के बाद उसमें आग लग गई थी जो चार घंटे तक जलती रही थी। साथ ही फर्नीचर और यादगार चीजों को भी नष्ट कर दिया था। जिन्ना ने अपने जीवन के आखिरी दिन वहीं गुजारे थे। बाद में इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया था।