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गुजरात में दिन-रात एक कर रहे केजरीवाल, सर्वे ने बताया कितना कर पाएंगे कमाल

गुजरात में विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले से दिलचस्प होता दिख रहा है। लगातार 27 साल से सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से सत्ता छीनने के लिए कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी (आप) भी पूरा जोर लगा रही है। राज्य की जनता किसकी कोशिश को कितनी कामयाबी देगी यह 8 दिसंबर को मतगणना के साथ साफ होगा। फिलहाल सर्वे एजेंसिया राज्य की जनता का मूड भांपने में जुटी हैं। अभी तक गुजरात पर आए अधिकतर सर्वे का अनुमान है कि भाजपा एक बार फिर यहां सरकार बना सकती है।

रिपब्लिक टीवी और पी मार्क की ओर से किए गए ताजा सर्वे में भविष्यवाणी की गई है कि गुजरात में भाजपा एक बार फिर बहुमत हासिल कर सकती है। सर्वे का अनुमान है कि पार्टी अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी कर सकती है। पार्टी को यहां 127 से 140 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है। यदि ऐसा होता है तो यह भाजपा की राज्य में सबसे बड़ी जीत होगी। इससे पहले 2002 में भाजपा ने 127 सीटों पर जीत हासिल की थी।

कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी आप? 
गुजरात में ‘आप’ सत्ताधारी भाजपा पर जितना चोट कर रही है उतना ही कांग्रेस को नुकसान होता दिख रहा है। ‘आप’ संयोजक अरविंद केजरीवाल जिस तरह अपनी पार्टी को यहां भाजपा की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश कर रहे हैं उसका कुछ असर भी होता दिख रहा है। रिपब्लिक पी मार्क के सर्वे और पिछले विधानसभा चुनाव के आकंड़ों को देखें तो यह साफ हो जाता है कि ‘आप’ की एंट्री से कांग्रेस को काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है। ओपिनियन पोल में भाजपा को 46.2 फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है। कांग्रेस को 28.4 फीसदी और ‘आप’ को 20.6 फीसदी वोट मिल सकता है। अन्य के खाते में 4.8 फीसदी वोट जा सकते हैं।

2017 की तुलना में किसे कितना नुकसान फायदा
5 साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 99 सीटों पर जीत हासिल की थी तो कांग्रेस ने 77 सीटों पर कब्जा करके भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। वोट शेयर की बात करें तो भाजपा को 49.1 फीसदी वोट मिले थे तो कांग्रेस ने 41.4 फीसदी वोट हासिल किए थे। ‘आप’ ने तब 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और सभी पर जमानत जब्त हो गई थी। यदि सर्वे के नतीजे सच साबित होते हैं और ‘आप’ 20 फीसदी के आसपास वोटशेयर पर कब्जा करती है तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा। वोट भाजपा के भी कट सकते हैं लेकिन त्रिकोणीय मुकाबला होने की वजह से सीटों के मामले में उसे फायदा होगा।