मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से एक दर्दनाक दृश्य सामने आया है। यह दृश्य बैतूल में पावर झंडा पंचायत के जामुन ढाणा गांव में देखने को मिली। जहां एक तरफ पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। वहीं एक छोटे से गांव में मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीण हर साल अपनो की जिंदगी बचाने के लिए खुद जिंदगी को दाव पर लगाकर मदद कर रहा है।
जामुन ढाणा गांव के समीप एक नदी है और उस नदी पर पुल नहीं बनने की वजह से हालात बहुत खराब है। खास कर बारिश के मौसम में जब भी गांव में कोई बीमार पड़ता है तो लोग उसे खाट पर लिटाकर अपनी जान को जोखिम में डालकर नदी के पार मरीज को डाक्टर के पास ले जाते हैं।
दरअसल जामुन ढाणा गांव के रूपेश टेकाम की गर्भवती पत्नी मयंती टेकाम को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। इसके चलते मयंती दर्द से तड़पने लगी। जिसके बाद रूपेश ने गांव के लोगों से मदद मांगी। और ग्रामीणों ने गर्भवती पत्नी को खाट पर लिटाकर नदी पार की और उसे डॉक्टर के पास पहुंचाया।
उधर, उपचार के लिए शाहपुर लेकर तो पहुंचे लेकिन वहां भी माचना नदी उफान पर होने के कारण उन्हें वापस लौटकर महिला को भौरा के शासकीय अस्पताल ले जाना पड़ा। और फिर अस्पताल पहुंचाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सास ली।
बता दें कि इस घटना पर जयस संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए पूरा देश आजादी का 75वा अमृत महोत्सव मना रहा है। लेकिन इस गांव में नदी पर पुल नहीं बना है। बच्चों को भी स्कूल जाने के लिए इसी नदी को पार करना पड़ता है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रशासन ने 3 दिनों में नदी पर पुल बनाने निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे।