मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खरगोन (Khargone) में हुए सांप्रदायिक दंगों (communal riots) के बाद शिवराज (Shivraj ) सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड में है। अभी तक मामले में 240 एफआईआर दर्ज (240 FIR registered) की जा चुकी हैं। वहीं 95 लोगों को गिरफ्तार (95 people arrested) करने के साथ पत्थरबाजों के 60 घरों को भी गिराया जा चुका है। उधर स्थानीय लोगों का दावा है कि दंगों से पांच घंटे पहले दोनों समुदायों के बीच झड़प हुई थी। लेकिन प्रशासन ने सही समय पर सख्त कदम नहीं उठाए। पुलिस ने भी शाम को अतिरिक्त फोर्स नहीं लगाई।
घटना वक्त कम पुलिस बल होने का दावा
एक स्थानीय दुकानदार रमेश गुप्ता के मुताबिक 17 झांकियों का जुलूस संवेदनशील इलाके तालाब चौक से निकल रहा था। यहां पहले ही छोटी-मोटी झड़पें हो चुकी थीं। कुल 5000 लोग जमा थे, लेकिन पुलिसवालों की संख्या केवल 50-60 थी। रमेश ने बताया कि रघुवंशी समाज ने सुबह रामनवमी पर जुलूस निकाला था। जब जुलूस तालाब चौक स्थित एक मस्जिद के पास से गुजरा तो आयोजकों की स्थानीय मुस्लिम समुदाय के सदस्यों से बहस हुई थी। तब पुलिस ने लाठीचार्ज कर लोगों को तितर-बितर कर दिया था।
शाम को एक स्थानीय भगवा संगठन ने तालाब चौक से 17 झांकियों का जुलूस निकाला। डीजे पर गाने बजाए जा रहे थे। तभी अचानक जुलूस पर पत्थरबाजी होने लगी। पुलिस ने लोगों को वहां से भगाया। आंसू गैस के गोले भी दागे गए, लेकिन तब तक इलाके में खबर फैल चुकी थी और आधा दर्जन इलाकों में हिंसा भड़क गई।
स्थानीय निवासी रफीक खान कहते हैं कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटन थी। लोग एक-दूसरे पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंक रहे थे। घरों के अंदर महिलाएं मदद के लिए चीख रही थीं। उन्होंने कहाकि मैंने कभी ऐसा तनावपूर्ण माहौल नहीं देखा था। उन्होंने कहाकि पुलिस की निष्ठुरता के चलते इलाके में तनाव फैल गया।
एसपी बोले-हमने हालात नियंत्रण में कर लिया था
वहीं खरगोन के एसपी सिद्धार्थ चौधरी ने इन सभी आरोपों का खंडन किया। उपद्रव के दौरान पैर में चोट खाए एसपी ने कहाकि इलाके में पर्याप्त फोर्स तैनात थी। उन्होंने कहाकि जुलूस शांतिपूर्वक निकल रहा था, लेकिन कुछ लोगों ने जुलूस पर पत्थर फेंके। कुछ पुलिस वाले भी इस पत्थरबाजी में घायल हुए। एसपी ने बताया कि हमने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया और आंसू गैस भी छोड़ी। एसपी के मुताबिक बड़े पैमाने पर इलाके में नियंत्रण स्थापित हो गया था, लेकिन दूसरी जगहों पर पहुंची झगड़े की खबर ने वहां पर तनाव बढ़ा दिया।
एसपी सिद्धार्थ चौधरी ने कहाकि रविवार शाम 7 बजे तालाब चौक में हालात पूरी तरह से नियंत्रित थे, लेकिन दूसरे इलाकों में झड़प की खबरें मिल रही थीं। उन्होंने बताया कि इसके बाद वह संजय नगर की तरफ भागे जहां एक शख्स हाथ में तलवार लेकर लोगों पर हमला करने जा रहा था। एसपी ने बताया कि मैंने तलवार लिए व्यक्ति को तो रोक लिया, लेकिन उसके साथ चल रहे दूसरे शख्स ने मेरे पैर में मार दिया। उन्होंने कहाकि घटना कैसे और क्यों हुई, जांच में इसका पता लगा लिया जाएगा। लेकिन कुछ लोगों ने तनाव को बढ़ावा दिया।
240 से अधिक के खिलाफ एफआईआर
वहीं खरगोन डीआईजी तिलक सिंह ने बताया कि मंगलवार शाम तक 240 से अधिक लोगों के खिलाफ 24 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। इनमें से 22 एफआईआर सोमवार शाम को दर्ज हुई थीं, जबकि दो मंगलवार को मध्य प्रदेश गृह विभाग द्वारा क्षतिपूर्ति के लिए ट्रिब्यूनल बनाने के बाद दर्ज की गईं। राज्य सरकार ने इस बारे में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। रिटायर्ड जिला जज शिवकुमार मिश्रा को इस ट्रिब्यूनल का चेयरमैन बनाया गया है, जबकि रिटायर्ड सचिव प्रभात पराशर सदस्य हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सीएम हाउस ने इसको लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की है। डीजीपी के मुताबिक अभी तक खरगोन दंगों में 95 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं आरएएफ समेत भारी पुलिस बल खरगोन में तैनात है। वहीं तीसरे दिन भी उपद्रवियों के घरों और दुकानों का ढहाया जाना जारी रहा। मंगलवार को पूर्व कांग्रेस पार्षद अली शेख का होटल ढहा दिया गया। खंडवा रोड पर अवैध रूप से बने इस होटल के अलावा एक बेकरी और दो अन्य अवैध निर्माणों को भी जमींदोज कर दिया गया। प्रभारी एसपी रोहित केसवानी ने बताया कि अली शेख पत्थरबाजी या दंगे में दोषी नहीं था। लेकिन पूर्व में उसके खिलाफ इलाके में तनाव फैलाने का मामला दर्ज हुआ था। हम मामले में उसकी भूमिका की जांच कर रहे हैं।