सुखद नित्यक्रम – जनेऊ धारण करने वाले इंसान को नित्यक्रम क्रिया के दौरान इसे काम के ऊपर लपेटना होता है। ऐसा करने से कान के पास से गुजरने वाली उन नसों पर भी दबाव पड़ता है, जिनका संबंध सीधे आंतों से है। ये नसें आंतों पर दबाव डालकर उनको पूरा खोल देती है। इन नसों पर दबाव पड़ने से कब्ज की शिकायत नहीं होती है। पेट साफ होने पर शरीर और मन, दोनों ही सेहतमंद रहते हैं।
कीटाणुओं से सुरक्षा – जनेऊ धारण करने वाला इंसान इससे जुड़े नियमों का भी पालन करता है। वह मल-मूत्र त्याग करते वक्त अपना मुंह बंद रखते हैं। इस दौरान जनेऊ धारण करने वाले को मौन रहना होता है। यह क्रिया अच्छे से हाथ मुंह धोने तक करनी होती है। इसकी आदत पड़ जाने के बाद लोग बड़ी आसानी से गंदे स्थानों पर पाए जाने वाले जीवाणुओं और कीटाणुओं के प्रकोप से बच जाते हैं।
दिल के रोग और ब्लडप्रेशर से बचाव – रिसर्च में पाया गया है कि जनेऊ पहनने धारण करने वालों इंसान को दिल से जुड़ी बीमारियों और ब्लडप्रेशर की आशंका अन्य लोगों के मुकाबले कम होती है। जनेऊ शरीर में खून के प्रवाह को भी कंट्रोल करने में मददगार होता है। ऐसा भी देखा गया है कि अक्सर ही सीने में होने वाले हल्के दर्द भी कान पर जनेऊ लपेटते ही बंद हो जाते हैं।
शक्तिवर्धक – दाएं कान के पास से ऐसी नसें भी गुजरती हैं, जिसका संबंध अंडकोष और गुप्तेंद्रियों से होता है। मूत्र त्याग के वक्त दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से यह नसें दब जाती हैं, जिनसे वीर्य निकलता है। ऐसे में जाने-अनजाने शुक्राणुओं की रक्षा होती है। इससे इंसान के बल और तेज में वृद्धि होती है।
बुद्धिकौशल – कान पर हर रोज जनेऊ रखने और कसने से स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। कान पर दबाव पड़ने से दिमाग की वह नसें ऐक्टिव हो जाती हैं, जिनका संबंध स्मरण शक्ति से होता है।
मानसिक बल – ऐसी मान्यता है कि जनेऊ धारण करने वालों के पास बुरी आत्माएं नहीं फटकती हैं। इसमें सच्चाई चाहे जो भी हो, पर केवल मन में इसका गहरा विश्वास होने भर से फायदा तो होता ही है।