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कोरोना महामारी के बाद से भारत में बढ़ी और भुखमरी, पाकिस्तान-बांग्लादेश-नेपाल से भी हुआ पीछे

ऑक्सफैम इंडिया ने कहा कि वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2021 में भारत का 101वां स्थान ‘‘दुर्भाग्य’’ से भारत के यथार्थ को दर्शाता है जहां कोविड-19 महामारी के बाद से भुखमरी और बढ़ी है. भारत 116 देशों के वैश्विक भुखमरी सूचकांक (जीएचआई) में 101वें स्थान पर फिसलकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे चला गया है. इस सूचकांक में 2020 में भारत 94वें स्थान पर था.

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि यह ‘‘चौंकाने वाला’’ है कि वैश्विक भुखमरी रिपोर्ट 2021 में कुपोषित आबादी के अनुपात पर एफएओ के अनुमान के आधार पर भारत की रैंकिंग कम कर दी गई है, जो ‘‘जमीनी हकीकत और तथ्यों से परे है तथा अपनाई गई पद्धति में गंभीरता की कमी दिखती है.’’

ऑक्सफैम इंडिया ने कहा कि जीएचआई में भारत का सात पायदान खिसककर 101वें स्थान पर पहुंचने से संबंधित आंकड़ा ‘‘दुर्भाग्य से देश के यथार्थ को दर्शाता है जहां कोविड-19 महामारी के बाद से भुखमरी और बढ़ी है.’’ इसने कहा, ‘‘भारत में कुपोषण की यह स्थिति कोई नई बात नहीं है, और वास्तव में यह सरकार के खुद के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएचएफएस) के आंकड़ों पर आधारित है. 2015 और 2019 के बीच बड़ी संख्या में भारतीय राज्यों ने बाल पोषण मानकों पर अर्जित लाभों को उलट दिया.’’

ऑक्सफैम इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ बेहर ने कहा, ‘‘पोषण का यह नुकसान चिंता का विषय होना चाहिए क्योंकि इसका अंतर-पीढ़ीगत प्रभाव है, इसे सीधे शब्दों में कहें तो- नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के कई हिस्सों में, 2015 और 2019 के बीच पैदा हुए बच्चे पिछली पीढ़ी की तुलना में अधिक कुपोषित हैं.’’

कुपोषण को न रोकने के बड़े पैमाने पर नकारात्मक परिणाम

इस साल के केंद्रीय बजट में पोषण 2.0 के लिए ‘बढ़े हुए’ आवंटन के साथ भारत की पोषण (प्रधान मंत्री की समग्र पोषण योजना) योजना पर चर्चा की गई. हालांकि, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण में सुधार के लिए 2017 में शुरू किया गया पोषण अभियान, स्वास्थ्य-बजट के भीतर इसे अन्य योजनाओं के साथ चतुराई से मिलाए जाने और खराब कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप क्षीण हो गया है. ऑक्सफैम इंडिया ने एक बयान में कहा कि वर्तमान बजट का केवल 0.57 प्रतिशत वास्तविक पोषण योजना के वित्तपोषण के लिए आवंटित किया गया है और 2020-21 की तुलना में बाल पोषण की राशि में 18.5 प्रतिशत की गिरावट आई है.

इसने कहा कि ‘उच्च स्तर के कुपोषण को न रोकने के बड़े पैमाने पर नकारात्मक परिणाम हैं. भारत में, हमारी वयस्क आबादी और बच्चे दोनों जोखिम में हैं. उदाहरण के लिए, हमारी (किशोर और मध्यम आयु वर्ग की) महिलाओं में से एक चौथाई का बीएमआई मानक वैश्विक मानदंड से नीचे है. हमारी आधी से ज्यादा महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं.’’ ऑक्सफैम इंडिया से संबद्ध वर्ना श्री रमन ने कहा, ‘एनएचएफएस के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार हमारे (किशोर और मध्यम आयु वर्ग के) पुरुषों में से एक चौथाई में आयरन और कैल्शियम की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं.’

भारत का जीएचआई स्कोर भी गिरा

आयरलैंड की सहायता एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मन संगठन वेल्ट हंगर हिल्फ द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई जीएचआई रिपोर्ट में भारत में भुखमरी के स्तर को ‘खतरनाक’ करार दिया गया है. भारत का जीएचआई स्कोर भी गिर गया है. यह साल 2000 में 38.8 था, जो 2012 और 2021 के बीच 28.8 – 27.5 के बीच रहा. जीएचआई स्कोर की गणना चार संकेतकों पर की जाती है, जिनमें अल्पपोषण, कुपोषण, बच्चों की वृद्धि दर और बाल मृत्यु दर शामिल हैं.