कृषि अध्यादेश के विरोध में किसानों ने ट्रैक्टरों के साथ सड़क पर उतर कर रैली निकाली। किसानों ने स्टेडियम तिराहे पर सड़क में बैठ जाम लगा दिया। किसानों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर कृषि अध्यादेश में संशोधन करने की मांग की। शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले सैकड़ों किसान टांडा उज्जैन में एकत्र हुए।
जहां से किसान ट्रैक्टर और बाइकों के साथ रैली के रूप में सड़कों में उतरे। वही कुछ दूरी पर पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रैली को रोकने का प्रयास किया। इस पर किसानों की पुलिस से नोकझोंक भी हो गई ।किसान बेरियर हटाकर आगे बढ़ गए । किसानों की भारी भीड़ देखते हुए जगह जगह पुलिस बल तैनात किया गया था ।
जैसे ही रैली स्टेडियम तिराहे पर पहुंची तो किसान सड़कों में बैठ गए और जाम लगा दिया। इस दौरान किसानों ने अध्यादेश को किसान विरोधी बताया। कहा कि सरकार प्रत्येक साल एमएसपी घोषित करें और एमएसपी से नीचे फसल लेने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
जाम के दौरान पुलिस ने किसानों को समझाने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने जाम नहीं खोला। करीब आधे घंटे बाद संयुक्त मजिस्ट्रेट गौरव कुमार किसानों के बीच पहुंचे । किसानों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन संयुक्त मजिस्ट्रेट को सौंपकर किसानों की समस्याओं का समाधान करने की मांग की। ज्ञापन देने के बाद किसान जाम खोलने को तैयार हो गए । इस मौके पर भारतीय युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राणा, गगन कंबोज, तरसेम सिंह, प्रवेश चौधरी, टीका सिंह सैनी,संदीप सहगल आदि मौजूद थे।
किसानों का आरोप था कि किसान विरोधी अद्यादेश देश किसानों को गुलाम बना देगी और जमा खोरी सहित पूजी पतियो को लाभ पहुंचाय जाएगा। इस दौरान किसानों ने अद्यादेश देश वापस नही लेने की दशा में उग्र आंदोलन करेगी। इस मोके पर तमाम किसान संगठन व नेता मौजूद थे।
सितारगंज में किसानों ने बाजार बंद कराया
सितारगंज। सितारगंज के विभिन्न किसान संगठनों ने मण्डी में बैठक कर केन्द्र के कृषि बिलों का विरोध कर वापस लेने की मांग की। आक्रोशित किसानों ने सभा के बाद नगर में जुलूस निकाला। इस दौरान उन्होंने व्यापारियों से सहयोग मांगते हुए बाजार भी बंद कर दिया।
शुक्रवार को किसानों की ओर से भारत बंद का आह्वान था। सितारगंज का बाजार आम दिनों की तरह खुल गया। दोपहर में सैकड़ों किसान मण्डी से पैदल बाजार की निकल पड़े। उन्होंने व्यापारियों से किसानों के आन्दोलन में सहयोग की अपील करते हुए बाजार बंद करा दिया।
किसानों ने कहा कि व्यापार भी किसानों को लेकर है। केन्द्र सरकार किसानों के अस्तित्व को समाप्त करने व पूजीपतियों के हाथों सौंपने की तैयारी में है। किसानों ने चेतावनी दी कि जो व्यापारी किसानों का साथ नहीं देगा। किसान उसकी दुकान में सामान नहीं खरीदेंगे। कुछ ही देर में बाजार बंद हो गया।
मण्डी में आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि फसलों की खरीद कम्पनियों के हाथों सौंपकर मंण्डियों का नियंत्रण समाप्त करने की कोशिश की गयी है। कम्पनियां किसानों से अपनी शर्तों पर बंधुआ की तरह खेती करायेंगी। सरकार का 20 खाद्य फसलों पर नियंत्रण था।
नये कानून में वह भी समाप्त हो जायेगा। ऐसी स्थिति में देश में खाद्य संकट होगा। खाद्य के लिए भी विदेशों पर निर्भर रहना होगा। बिजली का निजीकरण कर प्रीपेड मीटर लगाने, दरें बढ़ाने का प्रयास होगा। किसान आन्दोलन में अखिल भारतीय किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन भानु समेत तमाम संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे।