शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की हरसिमरत कौर बादल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य शामिल हैं, ने शनिवार दोपहर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। इस दौरान हरसिमरत कौर ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान 500 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाना चाहिए। मैंने एक साथ मुद्दों को उठाने के लिए कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके के नेताओं से सम्पर्क किया, लेकिन यह दुख की बात है कि आज किसी ने हिम्मत दिखाने की जहमत नहीं उठाई। जब तक विपक्ष एकजुट नहीं होगा, सरकार को फायदा होता रहेगा।
राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात के दौरान विपक्ष की बड़ी पार्टियों के सांसद नदारद रहे। अकाली दल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल के ज्ञापन पर कई छोटी पार्टियों के सांसदों के हस्ताक्षर हैं लेकिन बड़ी विपक्षी पार्टियों के सांसदों की तरफ से हस्ताक्षर नहीं किया गया है। अकाली दल के अलावा एनसीपी, बीएसपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, सीपीआई, राष्ट्रीय लोक दल के हस्ताक्षर हैं लेकिन कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके के किसी भी सांसद का हस्ताक्षर ज्ञापन पर नहीं है।
अकाली दल के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने किसानों और जासूसी के मसले पर संसद में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप व किसानों के मसले पर संयुक्त सेलेक्ट कमेटी बनाने की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि दो हफ्ते से सारा विपक्ष किसानों और जासूसी के मसले पर विपक्ष मांग कर रहा है, लेकिन सरकार चर्चा नहीं करवा रही। शिअद की हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि राष्ट्रपति से हमने कहा कि संसद के अंदर किसानों की आवाज दबाई जा रही है और संसद के बाहर भी दबाई जा रही है, हमने राष्ट्रपति से मांग की है कि राष्ट्रपति हस्तक्षेप करें और संसद में चर्चा हो।