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किसान आंदोलन के बीच सरसो उत्पादक किसानों को बाजार में समर्थन मूल्य से भी ज्यादा मिल रहे हैं दाम, खिले चेहरे

रिर्पोट :- गौरव सिंघल, वरिष्ठ संवाददाता, सहारनपुर/देवबंद(दैनिक संवाद ब्यूरो) एक ओर जहां भारतीय किसान यूनियन और उसके नेता नरेश टिकैत और राकेश टिकैत कृषि उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने और समर्थन मूल्य को कानूनी अमलीजामा पहनाने की मांग को लेेकर आंदोलन चला रहे हैं वहीं इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सरसों उत्पादक किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। केंद्र सरकार ने इस बार सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4650 रूपए प्रति क्विंटल घोषित किया है जो पिछली बार से 225 रूपए प्रति क्विंटल ज्यादा है लेकिन दिलचस्प बात यह है कि बाजार में सरसों का भाव सरकारी समर्थन मूल्य 4650 रूपए प्रति क्विंटल से एक से लेकर दो हजार रूपए ज्यादा है।
सहारनपुर मंड़ी परिषद की उपनिदेशक रिंकी जायसवाल ने बताया कि सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली के बाजारों में सरसों का बाजार भाव 6 से 7 हजार रूपए तक है और किसान को लाभकारी मूल्य मिल रहा है जिससे उनके चेहरे खिले हुए हैं। देवबंद के बड़े आढ़ती बलराम सिंघल ने बताया कि आज बाजार में सरसों 5800 रूपए प्रति क्विंटल के भाव पर बिकी है। जबकि दो दिन पहले बाजार भाव 6000 रूपए प्रति क्विंटल था। मुजफ्फरनगर मंडी में कल बाजार भाव थोड़ी देर के लिए जरूर 4200 रूपए प्रति क्विंटल रहा लेकिन किसानों ने इस भाव पर सरसों नहीं बेची। मंड़ी उपनिदेशक रिंकी जायसवाल ने बताया कि राजस्थान और अलीगढ़ तक के खरीददार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सरसों की खरीददारी को पहुंच रहे हैं। अभी तक पांच हजार मीट्रिक टन सरसों किसान बेच चुके हैं। रिंकी जायसवाल का कहना है कि सरसों उत्पादक किसान कस्बों की मंड़ी तक पहुंच रहे हैं। पैदावार भी अच्छी है।
आगरा तक से व्यापारी सरसों की खरीद करने के लिए पहुंच रहे हैं। देवबंद क्षेत्र के गांव चंदेना कोली निवासी प्रगतिशील किसान दीपक शर्मा इस बार सरसों के ऊंचे दाम मिलने से गदगद हैं। उन्होंने बताया कि इस बार सरसों की पैदावार करने वाले किसानों को दोहरा लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार सरसों में कोई रोग नहीं लगा और पिछले साल की तुलना में डेढ़ क्विंटल प्रति बीघा के औसत से सरसों की पैदावार हुई। जबकि पिछले साल यह पैदावार पौन या एक क्विंटल तक ही थी। उन्होंने बताया कि गांवों में ही व्यापारी छह से सात हजार रूपए प्रति क्विंटल की दर से सरसों खरीदने के लिए किसानों से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीली सरसों की मांग इस बार बहुत ज्यादा है।
देवबंद के सरसों के तेल के बड़े कारोबारी भाजपा सभासद विनय कुच्छल उर्फ काका ने कहा कि भले ही सरसों के दाम पिछले वर्षों से कुछ ज्यादा हैं लेकिन इस बार सरसों का दाना स्वस्थ और बड़ा है और उसमें तेल की निकासी पहले की तुलना में ज्यादा है। खल भी उमदा निकल रही है। इससे बाजार में सरसों के तेल के दामों में ज्यादा उछाल नहीं आएगा किसानों को जहां लागत से ज्यादा मुनाफा हो रहा हैं वहीं उपभोक्ताओं को भी अपनी जेब ढीली नहीं करनी पड़ रही है। बाजारों में तेल के दामों में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है। देवबंद के युवा व्यापारी मोहित सिंघल का कहना है कि कृषि उत्पादन मंड़ी में सरसों बेचने की अनिवार्यता समाप्त होने और मंड़ी के प्रतिबंध नहीं होने के चलते किसान सीधे कारोबारियों को अच्छे दामों पर सरसों बेच रहे हैं। किसानों ने सरसों का लाभकारी मूल्य मिलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का खासतौर से आभार जताया है। किसानों के खिले चेहरे होने से किसानों के आंदोलन पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।