कर्नाटक (Karnataka) में भाजपा (BJP) की हार के बाद भारतीय राजनीति (indian politics) में काफी कुछ बदल रहा है। कल तक कांग्रेस (Congress) के साथ नहीं जाने का दावा करने वाली बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) की प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) के सुर भी बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लोकसभा की 200 सीटों पर लड़े, तो हम समर्थन को तैयार हैं।
सोमवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव में विरोधी दलों के गठबंधन को लेकर साफ कर दिया है कि जो पार्टी जिस राज्य में मजबूत है, वहां वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़े। ममता बनर्जी ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव का परिणाम भाजपा के खिलाफ वोट है। यह भाजपा की नीतियों और सरकार के खिलाफ जनादेश है।
उन्होंने कहा कि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, दिल्ली में आप, बिहार में नीतीश, तेजस्वी और कांग्रेस उसी तरह से झारखंड में भी, जो क्षेत्रीय पार्टी मजबूत है, वहां भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़े। उन्होंने कहा कि बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, झारखंड, तेलंगाना और पंजाब मजबूत पार्टी को प्राथमिकता मिले। एक पार्टी दूसरी पार्टी को समर्थन दें। तृणमूल कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव में समर्थन दिया, लेकिन यह नहीं हो सकता है कि वह वहां समर्थन दे और यहां वह आकर उनसे ही लड़ाई करे। देशहित के लिए कुछ न कुछ बलिदान करना होगा।
सूर्यास्त से पहले बोलने नहीं दिया जाता: ममता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 27 मई को दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की बैठक में भी शामिल होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मांगों के बारे में बात रखने का एकमात्र मंच नीति आयोग की बैठक रह गया है। इसलिए इसमें मैं शामिल होउंगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस बैठक में हमें सूर्यास्त से पहले बोलने नहीं दिया जाता। ममता ने कहा कि सुबह से बैठक में शामिल रहती हूं। जब सूरज ढलता है तो हमें बोलने का मौका दिया जाता है। वह भी तय कर दिया जाता है कि क्या कुछ बोलना है।