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कबीर के काशी का ‘मंडुवाडीह’ अब हो गया ‘बनारस’, विरासतों के साथ ऐसे बदला नाम

वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन से पहले ही काशीवासियों को एक नया तोहफा मिला है। कबीर के काशी के इस मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बदल गया है जिसे अब बनारस नाम से जाना जाएगा। पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के अंतर्गत मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बनारस करने की स्वीकृति रेलवे बोर्ड ने दे दी है। स्टेशन पर बनारस का बोर्ड लगा दिया गया है।

संस्कृत में भी लिखा जाएगा नाम
काशी के विद्वतजनों की मांग थी कि स्टेशन के बोर्ड पर संस्कृत में भी लिखा जाये। बोर्ड ने ‘बनारसः‘ अंकित किया है। 15 जुलाई 2021 से जो टिकट मिल रहे हैं, उसपर भी बनारस लिखा है। साल 2020 के सितंबर में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बनारस किए जाने की अनुमति दी थी। स्टेशन के मेन गेट के साथ-साथ पूरे स्टेशन परिसर में और ऑनलॉइन भी स्टेशन का नाम अपडेट किया जा रहा है।

बनारस लिख फिर से किया गया था मंडुवाडीह
ज्ञात हो कि साल 2020 में अनुमति मिलने के ठीक बाद रेल अधिकारियों ने मंडुवाडीह हटाकर बनारस लिखा हुआ बोर्ड लगवा दिया था। शिवगंगा सहित कई ट्रेनों पर भी बनारस नाम लिख दिया गया था लेकिन मुख्यालय से आए दिशा-निर्देशों के बाद तुरंत संषोधन किया गया। मंडुवाडीह के ही बोर्ड लगाए गए। काफी प्रक्रिया के बाद ‘बनारस’ को फिर से अनुमति मिल सकी है।

बनारस स्टेशन पर हैं ये सुविधाएं
बनारस स्टेशन अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। स्टेशन परिसर में बड़ा सा सभी श्रेणी का वेटिंग रूम, एस्केलेटर, लिफ्ट, फूड प्लाजा, वीआईपी लाउंज, पार्किंग, कैफेटेरिया भी है। स्टेशन पर एर सेल्फी पॉइंट भी बनाया गया है। राष्ट्रीय ध्वज और धरोहर के तौर पर छोटी लाइन का एक इंजन भी रखा गया है। इसके अलावा, मॉडर्न बुकिंग और रिजर्वेशन कार्यालय भी है।