रिर्पोट :- सुरेंद्र सिंघल, वरिष्ठ पत्रकार, नई दिल्ली।
नई दिल्ली (दैनिक संवाद ब्यूरो)। विख्यात योग गुरू डा. वरूणवीर ने दावा किया कि उन्होंने अपनी हाल की यात्रा के दौरान श्रावस्ती जिले के कपिलवस्तु में पिपरावां स्थित भगवान गौतमबुद्ध के अंडाकार शारीकिय स्तूप के पास डेढ़ घंटे ध्यान लगाया तो जीवन में पहली बार ध्यान अत्यंत गहराई में उतर गया। जहां उन्होंने अनुपम शांति महसूस की। मन की एकाग्रता शून्य के ऊपर बहुत गहरे रूप से प्रतीत हुई। उन्हें महसूस हुआ कि वह अंदर से बिल्कुल रिक्त हैं और उनके शरीर का कोई अस्तित्व नहीं है। केवल आत्मा का अस्तित्व है जो परमात्मा का आधार है। उन्हें महसूस हुआ कि मनुष्य जिस शरीर को अपना मानता है वह कुछ नहीं है। यदि हमारा कुछ अपना है तो वह है राग, द्वेष, अभिनिवेष (मृत्यु का भय), घृणा, क्रोध], मोह और लालच जिस दिन मनुष्य अपने इस आपको छोड़ देगा उस दिन वह भगवान बुद्ध की स्थिति को प्राप्त जाता है। डा. वरूणवीर ने कहा कि उन्होंने देश और दुनिया में अनेक स्थलों पर ध्यान लगाया है।
लेकिन कपिलवस्तु के बौद्ध स्तूप जैसी अनुभूति उन्हें कभी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि उस पूरे स्थल पर अनूठी सात्विकता और भगवान बुद्ध की मौजूदगी का बहुत ही शिद्दत के साथ महसूस होती है और लगता है कि वहां की आबोहवा में भगवान बुद्ध की मौजूदगी बनी हुई है। जिस स्तूप के पास योगाचार्य डा. वरूणवीर ने ध्यान लगाया, वहां भगवान बुद्ध के अवशेषों का एक हिस्सा रखा हुआ है। भगवान बुद्ध का महानिर्वाण 80 वर्ष की अवस्था में ईसा से 483 वर्ष पूर्व हुआ था। तब उनके अवशेषों को आठ हिस्सों में बांटा गया था। जिसका एक हिस्सा वहां पिपरवां में स्तूप के नीचे रखा है। डा. वरूणवीर ने बताया कि इस स्थान से भगवान बुद्ध का जन्म स्थान लुंबिनी 10 किलोमीटर पूरब में स्थित है।
पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिट्टी के टीले के नीचे दबे भगवान बुद्ध के पिता शुद्धोधन के राजमहल के अवशेष मौजूद हैं। डा. वरूणवीर ने बताया कि पिपरवां नामक इस महत्वपूर्ण स्थान की यात्रा सम्राट अशोक ने अपनी मृत्यु 232 ईसा पूर्व के समय में अपने गुरू उपगुप्त यात्रा की थी और स्तूप एवं स्मारक का निर्माण कराया था। चीनी यात्री फाह्यान ने 405 से 411 ईसा पूर्व और हर्ष के शासनकाल के दौरान चीनी पर्यटक युवानच्वांग ने (करीब 630 ईसा के पूर्व) यहां की यात्रा की थी। डा. वरूणवीर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस स्थान का विकास कराए जाने और वहां यात्रियों के लिए तमाम जरूरी सुविधाएं और साधन मुहैया कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरह से भगवान राम की नगरी अयोध्या को विश्व स्तरीय स्थान के रूप में विकसित करने का काम कर रहे हैं, उम्मीद है उसी तरह वह भगवान बुद्ध जिन्हें दुनिया के अनेक देशों में माना और पूजा जाता हैं, पर भी अपना विशेष ध्यान देंगे।