पाकिस्तान (Pakistan) में आतंकवादियों को शरण (Shelter to terrorists) मिलने के भारत (India) के दावे को पुष्ट करते हुए ईरान (Iran) ने बलूचिस्तान ( Balochistan) पर आतंकी संगठन जैश-अल-अदल (terrorist organization Jaish-al-Adl) के ठिकानों पर हवाई हमले (air strikes ) किए। इससे दो प्रमुख इस्लामी देशों (two major Islamic countries) के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत ने इस मामले में सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ईरान को आत्मरक्षा में यह कदम उठाने का अधिकार है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, यह ईरान और पाकिस्तान के बीच का मामला है। जहां तक भारत का सवाल है, हम आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति पर चल रहे हैं। हम आत्मरक्षा में दूसरे देशों की ओर से उठाए जाने वाले ऐसे कदमों समझ सकते हैं।
ईरान ने मंगलवार को बलूचिस्तान के पंजगुर शहर पर मिसाइलें दागी थी। पाकिस्तान का दावा है कि इस हमले में दो बच्चों की मौत हुई है जबकि 3 लोग घायल हैं। बौखलाए पाकिस्तान ने ईरान के राजदूत को देश से निकाल दिया जबकि तेहरान में मौजूद अपने राजदूत को वापस बुला लिया है। उसने सभी उच्च स्तरीय द्विपक्षीय दौरों को रद्द करते हुए ईरान को गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी भी दी है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने राजनयिकों पर हुई कार्रवाई की पुष्टि की। बलोच ने ईरान के हमलों को अवैध-अस्वीकार्य बताते हुए संप्रभुता व संयुक्त राष्ट्र चार्टर के विरुद्ध बताया। उधर, ईरानी मीडिया ने कहा कि रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (ईरानी सेना) की ओर से इराक और सीरिया में किए गए मिसाइल हमले के बाद पाकिस्तानी में कार्रवाई करते हुए आतंकी ठिकानों पर मिसाइलों, ड्रोनों से हमला कर उन्हें नष्ट कर दिया है।
चेतावनी देने पर भी पाक ने नहीं की कार्रवाई : ईरान
दावोस में ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुलाहियन ने कहा कि ईरान ने बार-बार चेतावनी दी कि जैश-अल-अदल आतंकी समूह उसके सुरक्षाबलों पर हमले करने के लिए पाकिस्तान की भूमि का इस्तेमाल कर रहा है और बलोचिस्तान के सीमावर्ती शहर पंजगुर में इसके ठिकाने हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकवाद रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए ईरान ने इस आतंकी समूह को निशाना बनाया।
ईरान को गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है: पाकिस्तान
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, हमने हमेशा कहा कि आतंकवाद क्षेत्र के सभी देशों के लिए खतरा है जिसके लिए समन्वित कार्रवाई जरूरी है। ऐसे एकतरफा कृत्य अच्छे पड़ोसी संबंधों के अनुरूप नहीं हैं और द्विपक्षीय विश्वास को गंभीर रूप से कमजोर कर सकते हैं। पाकिस्तान ने कहा कि ईरान को एकतरफा कार्रवाई के लिए गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है। वहीं, स्थानीय अधिकारी हमलों को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। कुछ लोगों ने माना कि मिसाइल हमलों में एक मस्जिद को भी निशाना बनाया गया जिससे इसे आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा और कुछ आम लोग घायल हो गए।
हमले में मिसाइल और ड्रोन का इस्तेमाल
ईरान के अर्धसरकारी समाचार एजेंसी तसनीम न्यूज ने बताया कि जैश अल उदल के दो ठिकानों को खासकर निशाना बनाया गया और इन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया गया। जिस इलाके में हमला हुआ उसे ग्रीन माउंटेन कहा जाता है। हमले के लिए मिसाइल और ड्रोन दोनों का इस्तेमाल किया गया।
दावोस में मुलाकात और जमीन पर कार्रवाई
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की खबर के अनुसार, ये हमले उस दिन हुए जब पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर ने स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के अवसर पर ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन से मुलाकात की। रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी राष्ट्रपति के अफगानिस्तान मामलों के सलाहकार भी हाल में इस्लामाबाद में थे। पाकिस्तान ने इस बात पर भी चिंता जताई गई कि पाकिस्तान और ईरान के बीच बातचीत के कई स्थापित माध्यमों के बावजूद यह अवैध कार्रवाई हुई।
क्या है जैश-अल-अदल आतंकी समूह
जैश-अल-अदल या ‘आर्मी ऑफ जस्टिस’ 2012 में स्थापित एक सुन्नी आतंकवादी समूह है जो पाकिस्तान में पैर जमाए हुए है। यह गुट अक्सर ईरान की सरजमीं में घुसकर हमलों के लिए कुख्यात रहा है। ईरान शिया मुस्लिम बहुल देश है। वह सीमावर्ती इलाकों में आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। जैश-अल-अदल गुट सिस्तान-बलोचिस्तान में ‘सबसे सक्रिय और प्रभावशाली’ सुन्नी आतंकवादी समूह है।