यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्मार्ट सिटी योजना में प्रदेश के 10 शहरों में चल रहे काम को पूरा करने की समय सीमा तय करते हुए मंडलायुक्तों को इसे आठ महीने यानी जून 2023 तक पूरा कराने का निर्देश दिया है। केंद्र सरकार से स्वीकृत परियोजनाएं तय समय पर पूरा न होने पर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। मंडलायुक्तों को निर्देश दिया गया है कि निकाय अधिकारियों के साथ बैठक तय परियोजनाओं को नियमित समीक्षा की जाए और इसे तेजी से पूरा कराया जाए।
केंद्र सरकार ने देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी योजना के लिए चुना है। इसमें यूपी के 10 शहर लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, आगरा, बरेली, झांसी, सहारनपुर, अलीगढ़ व मुरादाबाद का चयन किया गया है। इन शहरों में कुल 5753 करोड़ की लागत से कुल 259 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। मौजूदा समय इसमें से 4229 करेाड़ रुपये की लागत से 61 परियोजनाओं का काम चल रहा है। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने पिछले दिनों में यूपी में चल रहे कामों के प्रगति की समीक्षा की थी। इसमें कामों की प्रगति धीमी होने पर चिंता जताते हुए इसमें तेजी लाने का निर्देश दिया था।
केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया है कि जून 2023 तक कामों को पूरा करना होगा। इसके बाद केंद्र सरकार स्मार्ट सिटी योजना में जो पैसा दिया जा रहा है उसे बंद कर देगी। इसके बाद राज्य सरकार को स्वयं इसका खर्च उठाना होगा। प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने इसके आधार पर ही स्मार्ट सिटी परियोजना वाले शहरों के मंडलायुक्तों को पत्र भेजा है। इसमें वाराणसी को दिए गए 1000 करोड़ रुपये को तय समय में खर्च करने का निर्देश दिया गया है।
लखनऊ को 525.12 करोड़ के चार काम, बरेली को 522.46 करोड़ से बचे हुए काम जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है। कानपुर को 221.76 करोड के चार काम, झांसी 425.05 करोड़ के 11 काम, सहारनपुर 890.71 करोड़ के 11 काम, अलीगढ़ 569.82 करोड़ के 11 काम, मुरादाबाद 813.49 करोड़ से 10 काम और प्रयागराज 180.15 करोड़ रुपये की लागत से दो कामों को जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है। मंडलायुक्तों से स्मार्ट सिटी परियोजना की प्रगति रिपोर्ट भी समय-समय पर शासन को उपलब्ध कराने को कहा गया है।