पाकिस्तान (Pakistan) की अंतरिम सरकार ने बुधवार को जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) और 28 अन्य लोगों के नाम देश से भागने से रोकने के लिए निकास नियंत्रण सूची (ईसीएल) में रखने की सिफारिश की। सरकार ने भ्रष्टाचार (Corruption) के एक मामले में उनकी कथित संलिप्तता का हवाला दिया है। डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, संघीय मंत्रिमंडल की एक उपसमिति ने अल-कादिर ट्रस्ट मामले में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख खान और 28 अन्य लोगों के नाम ईसीएल में रखने की सिफारिश की। इसे लोकप्रिय रूप से ‘नो-फ़्लाई सूची’ कहा जाता है। एक्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) उन लोगों की एक सूची है जो कानून द्वारा किसी भी तरह से पाकिस्तान छोड़ने से प्रतिबंधित हैं।
मामले में आरोप लगाया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी ने 50 अरब रुपये को वैध बनाने के लिए बहरिया टाउन लिमिटेड से अरबों रुपये और सैकड़ों कनाल की जमीन प्राप्त की। इसे ब्रिटेन के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान पहचाना गया और देश को वापस कर दिया।
71 वर्षीय इमरान खान को शुरू में उक्त मामले में इस साल की शुरुआत में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के परिसर से गिरफ्तार किया गया था। लेकिन, बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी को गैरकानूनी घोषित करने के बाद रिहा कर दिया गया। 14 नवंबर को, पीटीआई प्रमुख, जो पहले से ही सिफर मामले में अदियाला जेल में कैद हैं, को अल-कादिर ट्रस्ट मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा फिर से गिरफ्तार किया गया था। फिर उसे फिजिकल रिमांड पर वॉचडॉग को सौंप दिया गया।
एक्स पर एक पोस्ट में, आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि संघीय कैबिनेट की उपसमिति की एक बैठक में अंतरिम आंतरिक मंत्री सरफराज बुगती और अन्य विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। समिति ने विभिन्न विभागों व संस्थानों द्वारा भेजे गए 41 लोगों के नाम ईसीएल पर डालने की अनुशंसा की। एनएबी की सिफारिश पर इमरान खान समेत 29 लोगों के नाम ईसीएल में डालने की सिफारिश की गई थी।
अलग से 13 मामलों को सूची से हटाने की अनुशंसा भी की गई। मंत्रालय ने कहा कि अदालतों ने ईसीएल से सात नामों को हटाने की मांग की थी और संशोधन के लिए प्रस्तुत अपीलों में से तीन लोगों के नाम ईसीएल से हटाने की सिफारिश की गई थी। इसमें कहा गया है कि समिति की सिफारिशें मंजूरी के लिए संघीय कैबिनेट को भेज दी गई हैं।
इमरान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फेडरेशन व संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) को नोटिस जारी किया और सिफर मामले में इमरान खान की जमानत याचिका पर उनसे जवाब मांगा, जिसमें उन पर राज्य के रहस्यों को लीक करने का आरोप है। पूर्व प्रधानमंत्री और उनके सहयोगी शाह महमूद कुरेशी, जो सलाखों के पीछे हैं, को 23 अक्टूबर को मामले में दोषी ठहराया गया था। दोनों ने खुद को दोषी नहीं ठहराया और जमानत के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को सिफर मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के जेल मुकदमे के लिए पाकिस्तान सरकार की आधिकारिक अधिसूचना को अमान्य घोषित कर दिया, जिसमें उन पर राज्य के रहस्यों को लीक करने का आरोप है। मुकदमा अदियाला जेल में चल रहा है, जहां इमरान खान को 26 सितंबर से रखा गया है जब उन्हें जिला जेल, अटक से वहां स्थानांतरित किया गया था।