यह विवाद अब कहां पर जाकर खत्म होगा..यह कहना तो फिलहाल अभी मुश्किल है। रक्षा मंंत्री हो आएं हैं। विदेशी मंत्री भी ड्रैगन की सरजमीं पर दस्तक देकर आएं। उधर, कई मर्तबा सैन्य वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा उभरकर सामने नहीं आ रहा है। खैर, अभी तक जो नतीजे निकलकर सामने आ रहे हैं, वो तो है चीन का दोहरा रूख.. एक तरफ जहां वो वार्ता के लिए अपने आपको अमादा होते हुए दिखाता है, तो वहीं दूसरी तरफ सीमा पर घुसपैठ की खेती में भी मसरूफ रहता है, लेकिन अब भारत ने भी यूं समझ लीजिए कि इन सबका तोड़ निकाल लिया है।
जी हां..तोड़ ऐसे की चीन को रणनीतिक रूप से मात देने के लिए भारत ने 43 पुल तैयार किए हैं, जिसमें से 22 अकेले चीनी सीमा को भेद्द रहे हैं। यह सभी 22 पुल रणनीतिक रूप से भारतीय सेना के लिए बेहद अहम मानें जा रहें हैं। इन सभी पुलों को ब्रिज बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानि बीआरओ ने बनाकर तैयार किया है। उधर, अब खबर है कि इन सभी पुलों का केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उद्धाटन करने जा रहे हैं। ऐसा देश में पहली मर्तबा होने जा रहा है। जब इतनी बड़ी संख्या में पुलों का उद्धाटन हो रहा है। वहीं, आगामी 3 अक्टूबर को पीएम मोदी सामरिक महत्व की सुरंग, रोहतांग टनल का उद्धाटन करने वाले हैं।
22 पुल ऐसे हैं, जो चीन को भेद्दने के लिए तैयार हैं..
भले ही भारत ने 43 पुल तैयार किए हों, मगर इन सभी में से महज 22 पुल ऐसे हैं, जो ड्रैगन को रणनीतिक रूप से मात देते हुए नजर आ रहे हैं। बता दें कि पिछले चार महीनों से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव अपने चरम पर है, जिसको मद्देनजर रखते हुए पिछले काफी दिनों से इन पुलों का निर्माण जारी था।
इन राज्यों में तैयार हुए हैं पुल
यहां पर हम आपको बताते चले कि इन पुलों को देश के उन राज्यों में तैयार किया गया है, जिनकी सीमाएं सरहदों से मिलती है। 43 ब्रिज में से 10 जम्मू-कश्मीर में हैं, 07 लद्दाख, 02 हिमाचल प्रदेश, 04 पंजाब, 08 उत्तराखंड, 08 अरूणाचल प्रदेश और 04 सिक्किम में है। इन सभी पुलों का उद्धाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करने जा रहे हैं। वह इन पुलों का उद्धाटन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए करेंगे। उद्धाटन के मौके पर हिमाचल प्रदेश, पंजाब, अरूणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों के साथ साथ जम्मू कश्मीर और लद्दाख के उप-राज्यपाल भी मौजूद रहेंगे।