दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से दाखिल जमानत अर्जी पर बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता सिसोदिया की नियमित जमानत अर्जी और अंतरिम जमानत याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया। उच्च न्यायालय ने ईडी को एक सप्ताह के भीतर सत्यापन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 मई की तारीख तय की।
सिसोदिया ने अपनी पत्नी की बीमारी के आधार पर मामले में नियमित जमानत अर्जी के साथ-साथ अंतरिम जमानत याचिका भी दाखिल की है। पूर्व उप मुख्यमंत्री की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और मोहित माथुर ने उच्च न्यायालय में दलील दी कि ‘आप’ नेता की पत्नी पिछले 20 वर्षों से मल्टीपल स्क्लेरोसिस से जूझ रही हैं, जो तंत्रिका तंत्र से जुड़ी एक गंभीर दीर्घकालिक बीमारी है तथा उनकी स्थिति और बिगड़ने की आशंका है। ईडी के वकील ने याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि सिसोदिया मामले में मुख्य साजिशकर्ता हैं।
सिसोदिया ने निचली अदालत के 28 अप्रैल के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत धन शोधन मामले में उनकी जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि सबूत प्रथम दृष्टया ‘अपराध में उनकी संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं।’ सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में सिसोदिया की नियमित और अंतरिम जमानत याचिकाएं भी बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति शर्मा के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं। दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण एवं कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं और इस आबकारी नीति से अर्जित धन के कथित शोधन के आरोप में सीबीआई ने सिसोदिया को 26 फरवरी और ईडी ने नौ मार्च को गिरफ्तार किया था। यह नीति अब रद्द की जा चुकी है।