लोकसभा चुनाव 2024 (lok sabha election 2024) के सातवें और आखिरी चरण (seventh and last phase) के तहत शनिवार को देशभर में वोटिंग हो रही है. इसके बाद चुनावों के नतीजों की घोषणा (Announcement of election results) चार जून को की जाएगी. लेकिन चुनावी नतीजों से पहले शनिवार शाम से ही एग्जिट पोल (Exit Poll) के नतीजे आने शुरू हो जाएंगे. ऐसे में ये जान लेना जरूरी है कि एग्जिट पोल (Exit Poll) होता क्या है? इसे कैसे कराया जाता है? और आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई?
क्या होता है एग्जिट पोल?
किसी भी चुनाव में मतदान के बाद जब वोटर पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो उससे पूछा जाता है कि उसने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया है. इस सर्वे के लिए देश की कई प्रमुख एजेंसियां शामिल रहती हैं, जो अलग-अलग ढंग से एग्जिट पोल करती हैं. ये एजेंसियां मतदान के दिन अपने लोगों को पोलिंग बूथ के बाहर तैनात करती हैं, जैसे ही वोटर मतदान कर बाहर निकलते हैं. उनसे कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं, मसलन- उन्होंने किस पार्टी को वोट दिया. प्रधानमंत्री पद के लिए उनका पसंदीदा उम्मीदवार कौन सा है, वगैरह-वगैरह।
एग्जिट पोल को रिप्रेजेन्टेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 के सेक्शन 126ए के तहत नियंत्रित किया जाता है. वहीं, चुनाव आयोग एग्जिट पोल को लेकर बकायदा दिशानिर्देश भी जारी करता है, जिसमें बताया जाता है कि एग्जिट पोल का तरीका क्या होना चाहिए।
एग्जिट पोल की शुरुआत कैसे हुई?
भारत की तरह दुनियाभर के कई देशों में चुनावों से पहले एग्जिट पोल कराए जाते हैं. अमेरिका से लेकर एशिया और अफ्रीका तक कई महाद्वीपों पर ये पोल कराए जाते रहे हैं. लेकिन सबसे पहला एग्जिट पोल 1936 में अमेरिका में कराया गया था. उस समय जॉर्ज गैलप और क्लॉड रॉबिनसन ने न्यूयॉर्क में सर्वे किया था. मतदान केंद्रों से बाहर आ रहे वोटर्स से पूछा गया था कि कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए किस उम्मीदवार को वोट दिया है।
इस एग्जिट पोल में फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट के जीतने का अनुमान जताया गया था, जो चुनावी नतीजों में सच साबित हुआ. इसके बाद दुनियाभर में एग्जिट पोल का चलन तेजी से फैला. इसके बाद 1937 में ब्रिटेन और 1938 में फ्रांस में पहले एग्जिट पोल हुए।
भारत में पहला एग्जिट पोल कब हुआ था?
भारत में 1957 में दूसरे आम चुनाव में पहली बार एग्जिट पोल कराया गया था. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने ये पोल कराया था. लेकिन इसे पूरा तरह से एग्जिट पोल नहीं कहा गया. इसके बाद 1980 में डॉ. प्रणय रॉय ने पहला एग्जिट पोल कराया था।
1996 का लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल के लिहाज से काफी अहम था. उस समय दूरदर्शन पर एग्जिट पोल दिखाए गए थे. ये पहली बार था जब टीवी पर एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए गए. ये सर्वे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने किया था। उस चुनाव में CSDS ने अपने एग्जिट पोल में खंडित जनादेश का अनुमान लगाया था. हुआ भी ऐसा ही था. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत से दूर रह गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण 13 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा।